15.2.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का दिनांक 15 -02- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है  द्रुण -रिपु ¹आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 15 -02- 2023

का  सदाचार संप्रेषण 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


  566 वां सार -संक्षेप

1 द्रुण =बदमाश


याचना की भक्ति मनुष्य को अन्दर से कमजोर करती है एक ऐसा समय भी आया था जब याचक भक्ति की अधिकता हो गई थी जिसने हमें कमजोर किया 

आचार्य जी हमें इन कमियों की ओर संकेत कर इन सदाचार संप्रेषणों के माध्यम से उत्साहित शक्तिसम्पन्न धैर्यशाली बनाने का प्रतिदिन प्रयास कर रहे हैं


भ्रम और निराशा दूर करने के लिये भक्ति और विश्वास को प्रविष्ट करा कर हम अतिचार वाली जगहों पर अपनी छाती अड़ाने के लिए अपने अंदर शक्ति का पुंज स्थापित कर सकते हैं यही शौर्य प्रमंडित अध्यात्म है

भारतवर्ष तो इन्हीं भावों से भरा धर्मक्षेत्र है


भारत महान भारत महान

जग गाता था गा  रहा नहीं गायेगा फिर पूरा जहान

भारत महान भारत महान...


धीरेन्द्र शास्त्री भी यही बात कहते हैं


भारतवर्ष संपूर्ण विश्व में अद्भुतताओं से भरा एक देश है

इन विचित्रताओं को हमारे तपस्वियों विचारकों चिन्तकों मनीषियों ने समय समय पर हमें बताया है

हमें भाव में जाकर इन पर विश्वास करना चाहिये

इसीलिये उपासना का महत्त्व है हम अंशी के ही अंश हैं

आत्मस्थ होने का हमें प्रयास करना चाहिये

यह जीवन केवल करुण कथा नहीं है

हमने तो रहस्यात्मक तत्त्व शक्ति प्राप्त की है इस पर विश्वास करें

भगवान् राम आत्मविश्वास का एक ज्वलन्त उदाहरण हैं

रामचरित मानस इसी आत्मविश्वास को जाग्रत करता है आइये इसी के लंका कांड में प्रवेश करते हैं

मातृभूमि के प्रति प्रेम दिखाती ये पंक्तियां


सीता सहित अवध कहुँ कीन्ह कृपाल प्रनाम।

सजल नयन तन पुलकित पुनि पुनि हरषित राम॥120 क॥

चौदह वर्ष बाद भगवान् राम अवधपुरी को देख रहे हैं


फिर त्रिवेणी में आकर भगवान् राम ने हर्षित होकर स्नान किया और  वनवासियों सहित ब्राह्मणों को अनेक प्रकार के दान दिए


भरत जी का तो उन्हें ध्यान लगातार है ही


आचार्य जी ने निषाद का एक प्रसंग सुनाया

 विरह में उसने आंखों पर पट्टी बांध ली थी


इहाँ निषाद सुना प्रभु आए। नाव नाव कहँ लोग बोलाए॥3॥


सुनत गुहा धायउ प्रेमाकुल। आयउ निकट परम सुख संकुल॥5॥


और  प्रभु को देखकर वह आनंद में मग्न होकर पृथ्वी पर गिर पड़ा प्रभु ने उसका परम प्रेम देखकर हृदय से लगा लिया

मूर्ख लोग जातियों के आधार पर भेदभाव करते हैं जबकि राम कथा में तो ऐसा बिल्कुल नहीं है

हमें इन्हीं बातों को जानना है और अन्य लोगों को भी इसी तरह की जानकारियों से अवगत कराना है

होगा तब जब हम स्वयं भी इन्हें जानने का प्रयास करेंगे


इसके अतिरिक्त ब्राह्मणत्व को आचार्य जी ने कैसे परिभाषित किया

फिल्म दुश्मन के किस गीत की आचार्य जी ने चर्चा की जानने के लिये सुनें