प्रस्तुत है ज्ञान -जलधर ¹आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 19 -02- 2023
का सदाचार संप्रेषण
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570 वां सार -संक्षेप
1 जलधर =समुद्र
संगठन वही टिकता है जिसके सदस्यों में आपसी सामञ्जस्य समन्वय सद्व्यवहार की भावना हो
युगभारती ऐसा ही एक संगठन है समय समय पर हम लोग समाज के लिये सार्थक योजनाएं भी बनाते रहते हैं
आचार्य जी ने सूचित किया कि एक ऐसी ही योजना, अपने सरौंहां गांव में स्थित हनुमान जी के मंदिर में कुछ संशोधन हों,कल बनी
नववर्ष के उपलक्ष्य में 26 मार्च 2023 को एक कार्यक्रम सरौंहां में करने की योजना पर भी कल विचार हुआ
भारतीय जीवन दर्शन,
जिसमें जीवन जीने का एक ऐसा सलीका है कि हम अभाव में भी उतने व्याकुल नहीं रहते जितने भोगवादी रहते हैं,
में नववर्ष अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है
ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी
भारतीय जीवन दर्शन बहुत गहन है इसमें बहुत से ग्रंथ पंथ मत हैं लेकिन यह विकार नहीं है यह तो एक विशेषता है इसी को आचार्य जी ने ट्रेन में बिजली वाले प्रसंग से जोड़ा
अब जैसे वाल्मीकि जी के उत्तरकांड और तुलसी जी के उत्तरकांड में ही अन्तर है
वाल्मीकि जी के उत्तरकांड में
भगवान् राम के राज्याभिषेक के अनन्तर कौशिक आदि महर्षियों का आगमन, रावण सम्बन्धित अनेक कथाएँ, सीता के पूर्वजन्म रूप वेदवती का रावण को शाप, सहस्त्रबाहु अर्जुन के द्वारा नर्मदा अवरोध, रावण का बन्धन, रावण का बालि से युद्ध, शत्रुघ्न द्वारा लवणासुर वध, किंपुरुषोत्पत्ति कथा, सीता का रसातल में प्रवेश, राम का सशरीर स्वर्गगमन आदि प्रसंग हैं
उधर तुलसीदास जी ने बहुत सारा अध्ययन किया और भगवान् राम के विविध स्वरूपों को दर्शाती रामकथा का अद्भुत स्वरूप प्रस्तुत किया
भोगवादी लोग उचित प्रशासन को मानने को तैयार नहीं होते
भगवान् राम का भी उचित प्रशासन था जिसमें सभी को अपनी अपनी सीमाओं में रहने की बाध्यता थी
और यदि सीमाओं में कोई विकार आ रहा है तो बहुत मर्यादित ढंग से उन्होंने उसे दूर किया
बड़ी मां कौशल्या कह रही हैं
जौं केवल पितु आयसु ताता। तौ जनि जाहु जानि बड़ि माता॥
जौं पितु मातु कहेउ बन जाना। तौ कानन सत अवध समाना॥1॥
पितु बनदेव मातु बनदेवी। खग मृग चरन सरोरुह सेवी॥
अंतहुँ उचित नृपहि बनबासू। बय बिलोकि हियँ होइ हराँसू॥2॥
और भगवान् राम वन के लिये चल देते हैं
भगवान् राम को कोई हर्ष नहीं है न विषाद है
ऐसे हैं राम
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने और क्या बताया जानने के लिये सुनें