23.2.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का फाल्गुन शुक्ल चतुर्थी विक्रम संवत् 2079 तदनुसार 23 -02- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 हम घर जाल्या आपणाँ, लिया मुराड़ा हाथि। 


अब घर जालौं तासका, जे चले हमारे साथि॥



प्रस्तुत है  संशयछेदिन् ¹आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज 

फाल्गुन शुक्ल चतुर्थी विक्रम संवत्  2079

तदनुसार 23 -02- 2023

का  सदाचार संप्रेषण 

 

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  574 वां सार -संक्षेप

1 = सभी संदेहों को मिटाने वाला


उत्थान और पतन इस संसार का स्वभाव है

भगवान् की कृपा से हमें मनुष्य शरीर मिला है हमें इसका लाभ उठाना चाहिये

हमें सात्विकता की ओर उन्मुख होना चाहिये 

विषय- वासनाओं को भोगते हुए खावै अरु सोवै ही हमारा काम नहीं है


बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार।


बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।

हनुमान जी से यह याचना कर शारीरिक बल आंतरिक बल प्राप्त कर नित्य हम अपने साथी सहयोगियों को सात्विक बल से संयुत कर समाजोन्मुखी जीवन जीने का संकल्प लेते हैं



वैशिष्ट्य की एक मिसाल हमारी सनातन संस्कृति को सुरक्षित करने के लिये राम चरित मानस के माध्यम से तुलसीदास जी ने मनुष्य को उसका उचित कर्तव्य बताने का प्रयास किया है क्योंकि उस समय की परिस्थितियां अत्यन्त विषम थीं राजा अन्यायी अत्याचारी हो रहे थे परिवार टूट रहे थे स्वार्थ का बोलबाला था विद्रूपता का नंगा नाच चल रहा था




भारत

..सम प्रिय नहिं सोऊ। यह प्रसंग जानइ कोउ कोऊ॥2॥


का तो हर प्राणी विशेष है लेकिन 

हमें देशभक्त और शोषक में अन्तर देखना चाहिये शोषकों को निर्मूल करने की आवश्यकता है 

 यहां की नदियां पर्वत जल थल सब अद्भुत है हमें इसकी अद्भुतता का अनुभव करना चाहिये विश्व का शारीरिक भ्रमण या मानसिक भ्रमण कर हम स्वयं इसका आकलन कर सकते हैं


आचार्य जी ने बताया कि वाल्मीकि रामायण के अनुसार हनुमान जी को प्रलयकाल तक रुकने का आदेश है


तुलसीदास जी ने हनुमान जी को भगवान राम का परम भक्त बताया है राम उनके सर्वस्व हैं हनुमान जी की भावपूर्ण भक्ति पराकाष्ठा पर पहुंची है 


आइये चलते हैं मानस के उत्तर कांड में


भगवान् राम को देखने के लिये सभी, जो दुर्बल हो गये हैं,लालायित हैं


हरषित गुर परिजन अनुज भूसुर बृंद समेत।

चले भरत मन प्रेम अति सन्मुख कृपानिकेत॥3 क॥

भरत जी भी भगवान् राम की अगवानी के लिये आतुर हैं

मंगल गीतों से वातावरण गुंजायमान है



जन्मभूमि मम पुरी सुहावनि। उत्तर दिसि बह सरजू पावनि॥


कृपालु भगवान्‌ श्री रामजी ने सब लोगों को आते देखा, तो प्रभु ने विमान को नगर के समीप उतरने की प्रेरणा की।और आगे नहीं चले

तब वह पुष्पक पृथ्वी पर उतरा

इसके बाद आचार्य जी ने क्या बताया जानने के लिये सुनें