25.2.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का फाल्गुन शुक्ल षष्ठी विक्रम संवत् 2079 तदनुसार 25 -02- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है  सकरुण ¹आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज 

फाल्गुन शुक्ल षष्ठी विक्रम संवत्  2079

तदनुसार 25 -02- 2023

का  सदाचार संप्रेषण 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


  576 वां सार -संक्षेप

1 = दयालु


आजकल हम लोग रामचरित मानस के उत्तरकांड में प्रविष्ट हैं यह उत्तरकांड अध्यात्म रामायण और वाल्मीकि रामायण के उत्तरकांड से भिन्न है

गोस्वामी तुलसीदास ने उत्तरकांड में तत्कालीन परिस्थितियों को सुलझाते हुए भारतवर्ष के स्वरूप का चित्रण किया है अनगिनत झंझाओं का समय था विधर्मियों के अत्याचारों अन्यायों रीतिरिवाजों का बोलबाला था

ऐसे समय में तुलसी ने रामकथा का यह स्वरूप प्रस्तुत किया


दशरथ तक स्थिति दूसरी थी राम जी के आते ही स्थिति बदल गई

भारतवर्ष के लोग राममय जीवन जीने के लिये उत्साहित हों प्रबोधित हों 

अपने सनातन स्वरूप को पहचानें

ऐसे झंझावातों का जब राम जी डटकर सामना कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं विधर्मियों का सामना कर सकते हैं

अमित रूप प्रगटे तेहि काला। जथाजोग मिले सबहि कृपाला॥

कृपादृष्टि रघुबीर बिलोकी। किए सकल नर नारि बिसोकी॥3॥


आइये प्रवेश करते हैं उत्तरकांड में


भेंटेउ तनय सुमित्राँ राम चरन रति जानि।

रामहि मिलत कैकई हृदयँ बहुत सकुचानि॥6 क॥




सुमित्रा जी अपने तनय लक्ष्मण जी की श्री राम जी के चरणों में प्रीति जानकर उनसे मिलीं। श्री रामजी से मिलते समय  युद्ध विशारद त्यागी नीतिज्ञ ज्ञानी मां कैकेयी जी हृदय में बहुत सकुचाईं कैकेयी ने तो दशरथ की विजय के लिये अपना हाथ नष्ट कर दिया था 

उन्होंने अपने प्रिय राम जी को प्रेरित किया कि वो वन जाएं ताकि रावण मारा जाए


रावण का अन्याय अत्याचार चरम पर था दशरथ भी कम पराक्रमी नहीं थे लेकिन वो रावण को ललकार नहीं सकते थे जनक जी के शासन में विश्वामित्र यज्ञ नहीं कर सकते रावण बालि से मित्रता कर लेता है अगस्त्य जैसे शक्तिसम्पन्न ऋषियों से झंझट मोल नहीं लेता साधना में रत बाकी ऋषियों से दुर्व्यवहार करता है

स्वार्थी राजा ऐसे ही होते हैं


भारतवर्ष की ऐसी व्यवस्था नहीं है वह तो कहता है

सर्वे भवन्तु सुखिनः


कैकेयी विभीषण आदि पात्रों में दोष देखना हम लोग बन्द करें और यह अध्ययन मनन चिन्तन निदिध्यासन से संभव है