प्रस्तुत है प्रवीर ¹आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज
फाल्गुन शुक्ल नवमी विक्रम संवत् 2079
तदनुसार 28 -02- 2023
का सदाचार संप्रेषण
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579वां सार -संक्षेप
1 =शौर्य- सम्पन्न
भ्रम विचलन मनुष्य की समस्याओं को और बढ़ा देता है लेकिन यदि हम अदृश्य शक्ति परमात्मा पर विश्वास करें तो असंभव दिखने वाले कार्य भी पूर्ण हो जाते हैं
जब हम अपनों के लिये कुछ अच्छे कृत्य करेंगे तो हमें यशस्विता मिलेगी जिससे हमें
आनन्द मिलेगा
हमारा लक्ष्य भी यही है
राष्ट्र निष्ठा से परिपूर्ण समाजोन्मुखी व्यक्तित्व का उत्कर्ष
नाना जी कहते थे मैं अपने लिये नहीं हूं अपनों के लिये हूं
अपने वे सब हैं जो राष्ट्र भक्त हैं
समस्याएं आती हैं फिर भी परमार्थ की अनुभूति के लिये हम कृतसंकल्प हों तो वास्तव में यह यशस्विता ही देगा
स्व का पर में विलीन होना परा अवस्था है
आइये प्रवेश करते हैं उत्तर कांड में
लछिमन सब मातन्ह मिलि हरषे आसिष पाइ।
कैकइ कहँ पुनि पुनि मिले मन कर छोभु न जाइ॥6 ख॥
सासुन्ह सबनि मिली बैदेही । चरनन्हि लाग हरषु अति तेही॥
देहिं असीस बूझि कुसलाता। होइ अचल तुम्हार अहिवाता॥1॥
तुलसीदास जी ने भगवान् राम का आदर्श परिवार प्रस्तुत किया है क्योंकि उस समय अकबर के काल में विग्रह दिख रहा था और हम लोग भी विग्रह की चपेट में आ गये थे जिससे हम लोग इस हाल में आ गये
हमें अंधकार की परवाह नहीं करनी है
हम लोग प्रकाश की किरण हैं तो हम अंधकार से लड़ने के तैयार रहें
परिवार और बाजार में अन्तर है परिवार के फूलदान को सजाए रहिये मानस में यही बताया गया है
आचार्य जी ने मानस के बहुत मार्मिक प्रसंग बताये
इसके अतिरिक्त आचार्य जी
ने
भैया शान्तनु अग्रहरि जी, भैया भुवनेश प्रताप सिंह जी द्वारा लिखित
Win Over Everyday Battles The Gita Way की चर्चा की
भैया संजय सिंह आजाद जी का नाम कैसे आया जानने के लिये सुनें