हनुमान जी महाराज! हमको शक्ति दो निज भक्ति दो,
निज देश भारतवर्ष के प्रति सहज शुचि अनुरक्ति दो,
विश्वास दो निज पर कि जिससे कभी भी विचलित न हों
निर्लिप्तता ऐसी कि हम इस जगत में प्रचलित न हों।
प्रस्तुत है छिदुर -रिपु ¹आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज
फाल्गुन शुक्ल त्रयोदशी /चतुर्दशी विक्रम संवत् 2079
तदनुसार 05-03- 2023
का सदाचार संप्रेषण
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584 वां सार -संक्षेप
1 छिदुर =बदमाश
आजकल हम लोगों को रामकथा सुनने का सौभाग्य मिल रहा है रामकथा अत्यन्त लाभकारी है इससे हम सांसारिकता में व्याकुल नहीं होते समस्याएं कैसी भी हों हमें उनके हल मिल जाते हैं
हमें तो रामकथा में रमना ही चाहिये
जब रामकथा में हम रमने लगेंगे तो हमें आनन्द प्राप्त होगा आनन्द और सुख में अन्तर है सुख इन्द्रियजन्य है और आनन्द इन्द्रियातीत मन से संबन्धित है
आइये चलते हैं रामकथा के उत्तर कांड में
अवधपुरी अति रुचिर बनाई। देवन्ह सुमन बृष्टि झरि लाई॥
राम कहा सेवकन्ह बुलाई। प्रथम सखन्ह अन्हवावहु जाई॥1॥
अयोध्या बहुत ही सुंदर सजाई गई। देवताओं ने फूलों की वर्षा की झड़ी लगा दी। प्रभु रामजी ने सेवकों से कहा कि तुम लोग जाकर पहले मेरे सखाओं को स्नान आदि करा दो
सेवक आदेश का तुरन्त पालन करने लगे जब किसी काम का उत्साह होता है तो थकान नहीं होती मन महामन से मिल जाए तो आनन्द ही आनन्द है
पुनि करुनानिधि भरतु हँकारे। निज कर राम जटा निरुआरे॥2॥
फिर श्रीरामजी ने भरत जी को बुलाया और उनकी जटाओं को अपने हाथों से सुलझाया
राम जी बच्चों जैसा व्यवहार कर रहे हैं
आज बहुत ज्यादा प्रेम जागा है राम जी छोटे भाइयों को नहला रहे हैं
अयोध्या भावमय हो रही है
पुनि निज जटा राम बिबराए। गुर अनुसासन मागि नहाए॥
फिर प्रभुराम जी ने अपनी जटाएँ खोल लीं
गुरु जी की आज्ञा लेकर स्नान किया।
राम बाम दिसि सोभति रमा रूप गुन खानि।
रामदरबार के इस स्वरूप का आनन्द लीजिये
प्रभु राम के बायीं ओर रूप और गुणों की खान सीता जी शोभित हो रही हैं।
इसके आगे कथा बताते हुए आचार्य जी कहते हैं कि इस देश का राजतिलक भोग हेतु न होकर प्रजातांत्रिक था
भारत में लोकतन्त्र बहुत पहले से है
जिस दिन देश-काल के दो-दो,
विस्तृत विमल वितान तने,
जिस दिन नभ में तारे छिटके,
जिस दिन सूरज-चांद बने,
तब से है यह देश हमारा,
यह अभिमान हमारा है।
आचार्य जी आज कहां जा रहे हैं और उन्होंने शोभन सरकार के बारे में क्या बताया जानने के लिये सुनें