सिंघासन पर त्रिभुअन साईं
देखि सुरन्ह दुंदुभीं बजाई
हमारा देश स्रष्टा के सृजन का दिव्य दर्शन है,
जगत भर के लिए संपूर्ण सुन्दर मार्गदर्शन है,
अभागे हैं जिन्होंने यहाँ की महिमा नहीं जानी
कि ऐसों के लिए सबकुछ नुमाइश का प्रदर्शन है।
प्रस्तुत है धव -रिपु ¹आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज
फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा विक्रम संवत् 2079
तदनुसार 07-03- 2023
का सदाचार संप्रेषण
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586वां सार -संक्षेप
1 धव =ठग
यह दुःखद है कि मिथ्या ज्ञान के अभिमान में मस्त होकर बहुत से लोग भक्ति का आदर नहीं करते जब कि भक्ति जन्म मृत्यु के भय तक को हर लेती है
सारे गुणों की खान हनुमान जी के परम भक्त तुलसीदास में अद्भुत कौशल था उन्होंने रामकथा में कथा के साथ ज्ञान का गहन भाव भी पिरो दिया था
परमात्मा राम नर रूप धारण करके आये हैं लेकिन उन्हें नर लीला करनी है तो लगातार ज्ञान तो बना नहीं रह सकता
ज्ञान में निमग्न होने पर क्रोध ईर्ष्या लोभ मोह कुछ नहीं आ सकता नर होने पर माया लिपटेगी ही संसार भ्रम है
भगवान राम का राज्यारोहण हो चुका है वेद बन्दी रूप में उनके पास आये तो भगवान् राम का ज्ञान जाग गया
हनुमान जी की कृपा से तुलसीदास में ज्ञान और भक्ति में जैसे ही सामञ्जस्य होता है तो बहुत तात्विक कथन निकलने लगते हैं
ऐसा ही एक कथन है उत्तरकांड में
जय सगुन निर्गुन रूप रूप अनूप भूप सिरोमने।
दसकंधरादि प्रचंड निसिचर प्रबल खल भुज बल हने॥
अवतार नर संसार भार बिभंजि दारुन दु:ख दहे।
जय प्रनतपाल दयाल प्रभु संजुक्त सक्ति नमामहे॥1॥
वही सगुण वही निर्गुण रूप वाले
अनुपम रूप वाले राजाओं में श्रेष्ठ आपकी जय हो।
आपने रावण जैसे दुष्ट निशाचरों को अपनी भुजाओं के बल से मार डाला। आपने नर अवतार लेकर संसार के भार को समाप्त करके अत्यंत कठोर दुःखों को भस्म कर दिया।
अत्यन्त दयालु, शरणागत की रक्षा करने वाले प्रभु राम आपकी जय हो।
मैं शक्तिसंपन्ना सीता जी सहित शक्तिमान आपको नमस्कार करता हूँ
इसके आगे आचार्य जी ने क्या बताया जानने के लिये सुनें