प्रस्तुत है मेध्य ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज
चैत्र कृष्ण पक्ष षष्ठी विक्रम संवत् 2079
तदनुसार 13-03- 2023
का सदाचार संप्रेषण
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592 वां सार -संक्षेप
1=पुण्यशील
भारतीय चिन्तन की विधि है कि जन्म से लेकर मृत्यु तक मनुष्य का मनुष्योचित विकास हो
इन सदाचार वेलाओं का मूल उद्देश्य है कि हम सदाचारमय विचार ग्रहण कर ऊर्जा से भर जाएं हमारी अध्यात्म की ओर उन्मुखता हो लेकिन वह शौर्य प्रमण्डित ही हो
सदा वेदपथ की ओर चलने वाले तुलसीदास जी कहते हैं
श्रोता बकता ग्याननिधि कथा राम कै गूढ़।
किमि समुझौं मैं जीव जड़ कलि मल ग्रसित बिमूढ़॥
विषम परिस्थितियों में लिखी रामचरित मानस के गूढ़ तत्व को समझने के लिए हमें इस कथा को बार बार पढ़ना पड़ेगा
मानस के उन भावों में हम भी जाने का प्रयास करें जिन भावों से भावित होकर तुलसीदास जी ने वह तत्व हमें दे दिया
आइये चलते हैं उत्तर कांड में
बरनाश्रम निज निज धरम निरत बेद पथ लोग।
चलहिं सदा पावहिं सुखहि नहिं भय सोक न रोग॥20॥
धर्म इस समय बहुत चर्चा का विषय है वर्णाश्रम व्यवस्था भारतवर्ष का वैशिष्ट्य है
यह समाप्त नहीं किया जा सकता यह व्यवस्था संपूर्ण प्रकृति में है स्थावर जंगम में है हमें इन्हें समझने के लिए समय भी चाहिए हमें समय के सदुपयोग के लिए भी प्रयास करना चाहिए
हम सूक्ष्मतत्त्व लेकर अवतरित हैं महातत्त्व लेकर अवतरित हुए शंकराचार्य बहुत कम समय में ही बहुत कुछ कर गए
कोई भी काम अच्छा है बस मन उसमें रम जाए संत रविदास पुराने जूते बनाते थे
उन्होंने इसी जूते के काम में परमात्मा के दर्शन कर लिए
यह भारतीय जीवन दर्शन है
जब हम अपना पथ त्यागकर दूसरे के पथ पर प्रवेश कर जाते हैं तो हमें भय रोग शोक आदि होते हैं
संघर्ष वहीं होता है जहां लगता है हम सही हैं दूसरा गलत है बहुत प्रकार के पंथ हैं सभी एक स्थान पर जाते हैं लेकिन ऐसा भी होता है कि लोग पंथों को ही गंतव्य मान लेते हैं
बीज कभी मरता नहीं इसकी आचार्य जी ने बहुत सुंदर व्याख्या की
हम अपने कर्तव्य को समझें
अपने दर्शनतत्व को भी जानने का प्रयास करें
आचार्य जी ने यह भी कहा कि कोई भी forwarded message भेजने से पहले उसे भली भांति जांच लें
आचार्य जी ने भैया डा अनुराग भैया आलोक सांवल भैया राहुल मिठास भैया डा मधुकर भैया मनीष का नाम क्यों लिया जानने के लिए सुनें