23.3.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का चैत्र शुक्ल पक्ष द्वितीया विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 23-03- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है कुलम्भर -रिपु ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज 

चैत्र शुक्ल पक्ष द्वितीया विक्रम संवत्  2080 

तदनुसार 23-03- 2023

का  सदाचार संप्रेषण 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


  602 वां सार -संक्षेप

1 कुलम्भरः =चोर


मनुष्य की परस्थ होकर विचार करने की वृत्ति पतनोन्मुखी वृत्ति है जो प्रायः अधिकांश में होती है लेकिन हमें आत्मस्थ होकर आत्मोन्नति के उपाय खोजने चाहिए


हम अपने समाज में उचित व्यवहार का अभाव देखते हैं जिसका कारण संस्कारहीनता है इसी कारण समाज में हमें यदि उचित व्यवहार देखना है तो उचित शिक्षा महत्त्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि शिक्षा संस्कार है संस्कार से विचार उत्पन्न होते हैं और विचार से व्यवहार आता है


 इस उचित शिक्षा की महत्ता दर्शाते ये सदाचार संप्रेषण हमें आत्मोन्नति के उपाय भी बताते हैं

इन संप्रेषणों से समझ में आता है कि  भारतीय संस्कृति विलक्षण है  अक्षय है इस संस्कृति को समाप्त करने के बहुत से उपाय किये गए लेकिन यह अक्षय ही रही



हम भारतीय संस्कृति के उपासक कभी हताश नहीं हुए

होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥

अस कहि लगे जपन हरिनामा। गईं सती जहँ प्रभु सुखधामा॥


यह हरिनाम का जप प्राणिक ऊर्जा को उत्पन्न कर देता है प्राणिक ऊर्जा के बिना शरीर कुछ भी नहीं है इसी प्राणिक ऊर्जा में भक्ति भाव शक्ति आदि बहुत कुछ है लेकिन इसकी अनुभूति संस्कारों से ही की जा सकती है

वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः वाला भाव हमारे अन्दर धीरे धीरे प्रवेश कर रहा है लेकिन इस जागरण में हम उन्माद से ग्रसित न हों हमें तो संतवृत्ति अपनानी है


जिसके लिए आइये चलते हैं रामचरित मानस

जो सुनि होइ सकल भ्रम हानी

के 

उत्तर कांड में


सनकादिक बिधि लोक सिधाए। भ्रातन्ह राम चरन सिर नाए॥

पूछत प्रभुहि सकल सकुचाहीं। चितवहिं सब मारुतसुत पाहीं॥1॥


भगवान् राम से जानना चाहते हैं कि संत की महिमा क्या है


संत असंत भेद बिलगाई। प्रनतपाल मोहि कहहु बुझाई॥

भगवान् राम कहते हैं

 अगनित श्रुति पुरान बिख्याता॥3॥


संतों, असंतों की करनी ऐसी है जैसे कुल्हाड़ी और चंदन का आचरण होता है। कुल्हाड़ी चंदन को काटती है क्योंकि उसका स्वभाव ही काटना है लेकिन चंदन अपने स्वभाव के कारण अपना गुण देकर उसे भी सुगंधित कर देता है

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने और क्या बताया जानने के लिए सुनें