प्रस्तुत है कुड्मलित ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज
चैत्र शुक्ल पक्ष तृतीया विक्रम संवत् 2080
तदनुसार 24-03- 2023
का सदाचार संप्रेषण
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603वां सार -संक्षेप
1 =हंसमुख
सदाचारमय विचार प्राप्त कर हम अपने व्यक्तित्व को उत्कृष्ट बनाने का प्रयास करते हैं
आचार्य जी हमें प्रेरित करते हैं कि रामचरितमानस श्रीमद्भग्वद्गीता उपनिषदों के साथ साथ हम अपने साहित्य की अन्य कृतियों को खोजें उनका अध्ययन करें
साथ ही साथ हम शयन जागरण खानपान आदि का भी ध्यान रखें ताकि हम स्वस्थ रहें
आनन्दित रहें
शरीर को सहायक बनाए रखने के लिए नियम व्यवस्था के अतिरिक्त अपने इष्ट पर पूर्ण आस्था रखें
अपनी युगभारती के अन्य बन्धुओं से प्राप्त आत्मीयतापूर्ण सहायता के लिए भैया अजय शंकर द्वारा व्यक्त की गई कृतज्ञता की चर्चा करते हुए आचार्य जी ने बताया कि कर्तव्यभाव से काम करने और अत्यधिक आत्मीयता से काम करने में अन्तर होता है
अद्वेष्टा सर्वभूतानां मैत्रः करुण एव च।
निर्ममो निरहङ्कारः समदुःखसुखः क्षमी।।12.13।।
सन्तुष्टः सततं योगी यतात्मा दृढनिश्चयः।
मय्यर्पितमनोबुद्धिर्यो मद्भक्तः स मे प्रियः।।12.14।।
समः शत्रौ च मित्रे च तथा मानापमानयोः।
इस संतत्व में सभी से बहुत अधिक लगाव हो जाता है
यह लगाव परमात्मा की अद्भुत लीला है लगाव देश व्यक्ति स्थान किसी से हो सकता है कामनारहित संत संसार के वैविध्य पर हंसता है
शान्ति वैराग्य विनम्रता मुदिता उपेक्षा संत के लक्षण हैं
संत असंतन्हि कै असि करनी। जिमि कुठार चंदन आचरनी॥
काटइ परसु मलय सुनु भाई। निज गुन देइ सुगंध बसाई॥4॥
हम प्रवेश कर चुके हैं उत्तर कांड में
आइये आगे चलते हैं
संतत्व सशर्त नहीं होता है यह स्वभाव होता है
बिषय अलंपट सील गुनाकर। पर दु:ख दुख सुख सुख देखे पर॥
सम अभूतरिपु बिमद बिरागी। लोभामरष हरष भय त्यागी॥1॥
भगवान राम संतों के लक्षण बता रहे हैं
संत विषयों में लिप्त नहीं होते, वे सद्गुणों का खजाना होते हैं, उन्हें परदुःख देखकर दुःख और सुख देखकर सुख होता है। उनके मन में कोई उनका शत्रु नहीं है। वे मद से रहित वैरागी होते हैं लोभ, क्रोध, हर्ष भय आदि विकारों से दूर रहते हैं
तुलसीदास का भी संतत्व देखिए वो विदुषी रत्नावली के प्रति कृतज्ञता दिखाते हुए कहते हैं कि तुमने मुझे प्रभु राम से मिलाया
यद्यपि संन्यासी के लिए अंत्येष्टि करना वर्जित है लेकिन शंकराचार्य ने अपनी मां की और रामचरित मानस को हृदय से लगाकर जीवनभर तप करने वाली अपनी पत्नी की तुलसीदास ने अंत्येष्टि की है
संत अकुतभय होता है
इसके अतिरिक्त किस महापुरुष को आचार्य जी ने अजातशत्रु बताया जानने के लिए सुनें