28.3.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का चैत्र शुक्ल पक्ष सप्तमी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 28-03- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 सत्य की उद्घोषणा मिथ्यात्व का व्यवहार है, 

राजनैतिक मंच सजकर लोकहित तैयार है।


प्रस्तुत है आसक्तचेतस् ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज 

चैत्र शुक्ल पक्ष सप्तमी विक्रम संवत्  2080 

तदनुसार 28-03- 2023

का  सदाचार संप्रेषण 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


  607 वां सार -संक्षेप

1 =एकाग्र



आचार्य जी नित्य हमें प्रेरित करते हैं कि हम इन  महौषधि के रूप में प्राप्त संप्रेषणों से अपने विकार दूर कर सकें

सदाचार के माध्यम से हमें अपने शरीर को साधने परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाने का प्रयास करना ही चाहिए तभी हमें इनका लाभ भी समझ में आयेगा प्रातःकाल जल्दी जागना अपना खान पान सही रखना दुर्घट नहीं है नींद न आने पर अपने इष्ट का ध्यान करें तो नींद आ जाएगी



परमात्मा द्वारा प्रतिनिधि के रूप में भेजा गया मनुष्य इस सृष्टि का व्यवस्थापक है  यही रामत्व की परिकल्पना है

अपने विचारों को निर्मल बनाकर  व्यथाओं को शमित करने के लिए हम तुलसीदास द्वारा विष का पान कर अमृत के रूप में दी गई रामकथा सुनें तो यह अत्यन्त लाभकारी होगी 


जेहिं यह कथा सुनी नहिं होई। जनि आचरजु करै सुनि सोई॥

कथा अलौकिक सुनहिं जे ग्यानी। नहिं आचरजु करहिं अस जानी॥

रामकथा कै मिति जग नाहीं। असि प्रतीति तिन्ह के मन माहीं॥

नाना भाँति राम अवतारा। 

रामायन सत कोटि अपारा॥


लेकिन



सत्य संयम शम ,कसौटी पर चढ़े हैं 

पर कसौटी के शजर सोने-मढ़े हैं, 

घोर इस कलिकाल की कुछ यह दशा है 

इसलिए  शायद मनुज की दुर्दशा है।


ऐसे अधम मनुज खल कृतजुग त्रेताँ नाहिं।

द्वापर कछुक बृंद बहु होइहहिं कलिजुग माहिं॥40॥



  मनुष्य की दुर्दशा घोर संकट का कारण बन जाती है



आइये प्रवेश करते हैं उत्तर कांड में


पर हित सरिस धर्म नहिं भाई। पर पीड़ा सम नहिं अधमाई॥

निर्नय सकल पुरान बेद कर। कहेउँ तात जानहिं कोबिद नर॥1॥

आचार्य जी ने डूबते चक्रवाती कलियुग के सागर की व्याख्या की और बताया कि हनुमान जी इसकी नौका हैं 

बुराई की ओर मनुष्य का रुख तुरन्त हो जाता है


सुनहु तात माया कृत गुन अरु दोष अनेक।

गुन यह उभय न देखिअहिं देखिअ सो अबिबेक॥41॥


हमें तो अच्छाई की ओर उन्मुख होना है इस कथा को सुनने के पीछे यही उद्देश्य है कि हम यह देखें कि रामत्व हमारे अन्दर कितना प्रवेश कर रहा है

कथावाचन वह जो जीवन में प्रवेश करे

सोशल मीडिया पर हम अपनी बात रखें मीडिया द्वारा दुष्टों का महिमामण्डन निन्दनीय है 

इसके आगे आचार्य जी ने क्या बताया जानने के लिए सुनें