प्रस्तुत है पेशल ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज
चैत्र शुक्ल पक्ष द्वादशी विक्रम संवत् 2080
तदनुसार 02-04- 2023
का सदाचार संप्रेषण
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612वां सार -संक्षेप
1 विशेषज्ञ
हम मनुष्य प्रायः मार्ग में ही रहते हैं , लक्ष्य निर्धारित करते हैं और अपने लक्ष्य /लक्ष्यों को पाने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं
हमें शिक्षक खोजने का लक्ष्य भी बनाना चाहिए क्योंकि समाज में शिक्षकों का अभाव हो रहा है सेवकों की वृद्धि से समाज पराश्रित हो जाता है
विचार और व्यवहार का आदर्श शिक्षक के अन्दर आ जाए तो शिक्षक परिवर्तन करने में सक्षम होता है
शिक्षक कुंठित होता है तो समाज में अंधकार फैल जाता है
और शिक्षक जब जाग्रत होता है तो भय भ्रम शोक कुंठा अविश्वास का निवारण कर देता है
उषा सुनहले तीर बरसती,
जय-लक्ष्मी-सी उदित हुई;
उधर पराजित काल-रात्रि भी,
जल में अंतर्निहित हुई।
वह विवर्ण मुख त्रस्त प्रकृति का,
आज लगा हँसने फिर से;
वर्षा बीती, हुआ सृष्टि में,
शरद विकास नए सिर से।
सुदृढ़ संस्कारों वाले भैया शशिकांत अग्रवाल जिनको शिक्षकत्व का स्वभाव प्राप्त है वह समाज के सामने एक आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं
आचार्य जी उनके शिक्षकत्व की प्रकाशवान रश्मि की झलक पाकर आनंदित हुए
ऐसे शिक्षकत्व के भाव वाले लोगों के साथ बैठकर हमें कुछ विचारोन्मुख होना चाहिए
उनके भाव विचार उनका विश्वास प्रशंसनीय है
उत्तर कांड में भी
एक बार रघुनाथ बोलाए। गुर द्विज पुरबासी सब आए॥
बैठे गुर मुनि अरु द्विज सज्जन। बोले बचन भगत भव भंजन॥1॥
एक बार श्री रामजी के बुलावे पर गुरु वशिष्ठ , ब्राह्मण व अन्य पुरवासी सभा में आए। जब सब सज्जन यथायोग्य बैठ गए, तब भक्तों के जन्म-मरण का कष्ट मिटाने वाले श्री राम जी बोले
(भगवान् राम का अहंकारविहीन शिक्षकत्व वाला भाव देखिए )
बड़े भाग मानुष तनु पावा। सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्हि गावा॥
साधन धाम मोच्छ कर द्वारा। पाइ न जेहिं परलोक सँवारा॥4॥
आचार्य जी ने बताया कि शिक्षकत्व शिष्यत्व से चढ़कर आता है भगवान् राम का बार बार समर्पण का भाव अद्भुत है
राजु देन कहुँ सुभ दिन साधा। कहेउ जान बन केहिं अपराधा॥
तात सुनावहु मोहि निदानू। को दिनकर कुल भयउ कृसानू॥4॥
राजतिलक में हर्ष नहीं वनवास में दुःख नहीं
रामत्व देखिए कानन भी अयोध्या जैसा लगेगा
इसी रामत्व को अपने अन्दर लाने की आवश्यकता है
स्वानुशासन का क्या महत्त्व है अपने भीतर की किरण देखने से क्या तात्पर्य है मनुष्यत्व की अनुभूति से दूर होने से क्या हानि है जानने के लिए आचार्य जी का आज का उद्बोधन अवश्य सुनें
इसके अतिरिक्त
कल दीनदयाल शोध संस्थान के कृषि विज्ञान केन्द्र मझगवां में वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा का अनावरण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख माननीय मोहन जी भागवत ने किया इसके साथ ही उन्होंने विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए भारत रत्न सुरर्षि नानाजी देशमुख की कर्मस्थली में रानी दुर्गावती के शौर्य पराक्रम पर प्रकाश डाला
इस अवसर पर अनेक सांसद, विधायक, मंत्री, सतना जिले के अनेक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे
युगभारती की ओर से आचार्य जी के अतिरिक्त
भैया संपूर्ण सिंह जी 78,डॉ प्रवीण सारस्वत जी 82,वीरेंद्र त्रिपाठी जी 82,मनोज अवस्थी जी 84,मोहन कृष्ण जी 86,प्रदीप बाजपेयी जी 89,अजय कोस्टा जी 91,आलोक पांडेय जी 93,अक्षय अवस्थी जी 2008,डॉ दीपक सिंह जी 2009 उपस्थित रहे