त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदलविहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वां
कमलां अमलां अतुलाम् सुजलां सुफलां मातरम्।
प्रस्तुत है मलिम्लुच -रिपु ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज
चैत्र शुक्ल पूर्णिमा /वैशाख कृष्ण पक्ष प्रतिपदा विक्रम संवत् 2080
तदनुसार 06-04- 2023
का सदाचार संप्रेषण
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616 वां सार -संक्षेप
1 मलिम्लुचः =लुटेरा, राक्षस
वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः शपथ लेकर लेकिन राष्ट्र को दीन हीन अवस्था में देखकर भी आंख मूंदकर हम बैठ जाएं तो हमारा पौरोहित्य किस काम का
हमें तो अपनी अध्यात्मोन्मुखता के साथ साथ राष्ट्र के प्रति भी संवेदनशीलता बनाए रखनी है
आत्मोन्नति के साथ समाज का भी ध्यान रखना है
अस्तित्व और व्यक्तित्व दोनों की रक्षा करनी है
हमें अध्यात्मोन्मुखता और राष्ट्रोन्मुखता में संतुलन रखना है
उत्तरकांड के अध्यात्म से बहुत प्रकार की शंकाओं का निवारण करने का प्रयास किया गया है भक्ति और ज्ञान का विवेचन हुआ है भक्ति कर्तव्य के प्रति समर्पण है भक्ति प्रेम की पराकाष्ठा है
आचार्य जी ने एक ट्रेन में यात्रा कर रहे बच्चे और मां का उदाहरण दिया जिसमें बच्चा मां को लगातार लात मार रहा था
आचार्य जी ने रामभद्राचार्य जी का भी उदाहरण दिया कि अपने को वे अनन्तचक्षु क्यों कहते हैं
मानस जैसे ग्रंथों से प्रेरणा लेकर नए नए आयाम हम भी खोजें
जो न तरै भव सागर नर समाज अस पाइ।
सो कृत निंदक मंदमति आत्माहन गति जाइ॥44॥
निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह।
कहलवाकर तुलसीदास जी उस समय की गम्भीर परिस्थितियों में शौर्यप्रमंडित अध्यात्म की अनिवार्यता बतला देते हैं
अब 2024 के चुनाव आने वाले हैं तो हमें अपनी भूमिका ध्यान में रखनी है
सन् २०२४ चुनाव है, चुनाव है।
चुनाव देशप्रेम और स्वार्थसिद्धि बीच है,
प्रताप एक ओर एक ओर मान नीच है।
चुनाव त्याग और तप परिश्रमी स्वभाव का
कि ढोंग लोभ लाभ याकि पश्चिमी प्रभाव का।
चुनाव भारतीयता अभारतीयता के मध्य है,
चुनाव देशभक्ति और भोगवृत्ति मध्य है।....
.इस तरह के कवियों का भाव जब राष्ट्रार्पित हो जाता है तो संजीविनी प्रसारित हो जाती है
इसके अतिरिक्त उत्तरकांड में आचार्य जी ने और क्या बताया
आत्मस्थ होने के लिए क्या चीज त्यागनी होगी आदि जानने के लिए सुनें