सुनत सुधा सम बचन राम के । गहे सबनि पद कृपाधाम के॥
जननि जनक गुर बंधु हमारे। कृपा निधान प्रान ते प्यारे॥1॥
प्रस्तुत है लब्धावसर आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज
वैशाख कृष्ण पक्ष सप्तमी विक्रम संवत् 2080
तदनुसार 13-04- 2023
का सदाचार संप्रेषण
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623 वां सार -संक्षेप
सनकादिक नारदहि सराहहिं। जद्यपि ब्रह्म निरत मुनि आहहिं॥
सुनि गुन गान समाधि बिसारी। सादर सुनहिं परम अधिकारी॥4॥
जीवनमुक्त ब्रह्मपर चरित सुनहिं तजि ध्यान।
जे हरि कथाँ न करहिं रति तिन्ह के हिय पाषान॥42॥
एक बार रघुनाथ बोलाए। गुर द्विज पुरबासी सब आए॥
बैठे गुर मुनि अरु द्विज सज्जन। बोले बचन भगत भव भंजन॥1॥
रामचरित मानस अद्भुत कथा है इसे सुनकर हमें रामत्व की अनुभूति हो हम सचेत जाग्रत स्वाध्यायी आत्मचिन्तक बनें शरीर और मन का सामञ्जस्य सही रहे
शरीर को स्वस्थ रखने की चाहत आए मन को शान्त करने की तमीज आए प्रश्न करने की जिज्ञासा बलवती हो लेखन योग का अभ्यास करने का हौसला आए खानपान व्यवहार सही हो आनन्द निश्चिन्तता मनुष्यत्व की अनुभूति हो तो इसको सुनने का वास्तविक लाभ होगा
उत्तरकांड इस संपूर्ण कथानिबन्ध का उपसंहार है जहां
सनक सनातन सनत कुमार सनन्दन नारद और अपने भाइयों आदि के अतिरिक्त भगवान् राम ने मुख्य रूप से अयोध्यावासियों को समझाया है
अब आगे
वशिष्ठ प्रकरण आता है
उमा अवधबासी नर नारि कृतारथ रूप।
ब्रह्म सच्चिदानंद घन रघुनायक जहँ भूप॥47॥
शिव जी पार्वती जी को बता रहे हैं
अयोध्या में रहने वाले सभी कृतार्थस्वरूप हैं, जहाँ संपूर्ण संसार के विष को अपने भीतर डालकर पचाने वाले महाविष्णु राजा हैं जो सभी को आनन्दित करते हैं
धर्म की हानि पर बार बार अवतार आएंगे यह भारत की सांस्कृतिक विरासत है
एक बार बसिष्ट मुनि आए। जहाँ राम सुखधाम सुहाए॥
अति आदर रघुनायक कीन्हा। पद पखारि पादोदक लीन्हा॥1॥
वशिष्ठ मुनि मार्गदर्शक हैं
आचार्य जी ने उनका राजदंड से संबन्धित प्रसंग सुनाया
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने अपनी रचित एक कविता सुनाई
अपने और परायों की परिभाषा है ये दुनिया......
आचार्य जी ने एक सूचना दी कि भैया आशीष जोग को mild brain stroke आया
ईश्वर उन्हें शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें