18.4.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का वैशाख कृष्ण पक्ष त्रयोदशी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 18-04- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 माया कृत गुन दोष अनेका। मोह मनोज आदि अबिबेका॥1॥


प्रस्तुत है  वैदिक आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज 

वैशाख कृष्ण पक्ष त्रयोदशी विक्रम संवत्  2080 

तदनुसार 18-04- 2023

का  सदाचार संप्रेषण 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


  *628 वां* सार -संक्षेप


स्थान :उन्नाव


मनुष्य जीवन में भाव विचार क्रिया की त्रिवेणी   बहुत अद्भुत है  भाव आने पर विचार उत्पन्न होते हैं और विचार आने पर क्रियाएं होती हैं


हमारा संगठन भाव प्रधान है


संपर्क यदि मोबाइल पर ही रहता है तो भाव जाग्रत नहीं होते इसलिए आवश्यक है कि हम एक दूसरे के संपर्क में अधिक से अधिक रहें



कुछ क्रियाएं सहज होती हैं जिनके परिणाम सहज होते हैं विचारोपरान्त क्रियाओं के परिणाम विशेष  होते हैं


शिव जी पार्वती जी से बता रहे हैं 


सुमेरु पर्वत के उत्तर में एक बहुत ही सुंदर नील पर्वत है। उसके सुंदर स्वर्णमय शिखर हैं उनमें चार सुंदर शिखर मेरे मन को बहुत ही अच्छे लगे॥

उन शिखरों में एक-एक पर बरगद, पीपल, पाकड़  और आम का एक-एक विशाल पेड़  है। पर्वत के ऊपर एक सुंदर तालाब शोभित है, जिसकी मणियों की सीढ़ियाँ देखकर मन  अत्यंत मोहित हो जाता है 


सीतल अमल मधुर जल जलज बिपुल बहुरंग।

कूजत कल रव हंस गन गुंजत मंजुल भृंग॥56॥


तेहिं गिरि रुचिर बसइ खग सोई। तासु नास कल्पांत न होई॥


उस सुंदर पर्वत पर काकभुशुण्डि जी हैं जिनका नाश कल्प के अंत में भी नहीं होता


अब सो कथा सुनहु जेहि हेतु। गयउ काग पहिं खग कुल केतू॥1॥



अब वह कथा सुनो जिस कारण से गरुड़ जी काकभुशुण्डि जी के पास गए थे



इसके आगे आचार्य जी ने क्या बताया

आठवीं मंजिल पर किसने वृक्ष लगवाए थे

जानने के लिए सुनें