अँब छाँह कर मानस पूजा। तजि हरि भजनु काजु नहिं दूजा॥3॥
आम्र -वृक्ष की छाया में कागभुशुण्डि मानसिक पूजा करता है। हरि के भजन को छोड़कर उसे दूसरा कोई काम ही नहीं है
प्रस्तुत है वक्र -रिपु आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज
वैशाख कृष्ण पक्ष चतुर्दशी विक्रम संवत् 2080
तदनुसार 19-04- 2023
का सदाचार संप्रेषण
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629 वां सार -संक्षेप
जब हमें मानसिक उद्वेलन होते हैं तो सबसे अधिक शान्ति हमें परमात्मा द्वारा चारों ओर प्रसरित बाह्य प्रकृति से मिलती है
उर उपजा आनंद बिसेषा॥
बाह्य प्रकृति में वृक्ष सरोवर पर्वत नदी झील समुद्र आदि नाम आते हैं इन्हें रचने वाला परमात्मा हमारे अन्दर भी अवस्थित है यही ध्यान की अनुभूति है प्रकृति का प्यार जितना हमें मिलेगा उतने ही हम आनन्दित रहेंगे
हमारे ऋषि हमको अद्भुत जीवन दर्शन प्रदान कर गए
सदा नगारा कूच का, बाजत आठों जाम।
रहिमन या जग आइ कै, को करि रहा मुकाम॥
हमारा शरीर जहां से उपजा है उसी में मिल जाएगा
जीव जीव का संपोषण करता है जीव हमारा संरक्षण करता है हम मनुष्य रूप में जीव साधना करते हैं ये साधन के रूप में हमारा सहयोग करते हैं
माया कृत गुन दोष अनेका। मोह मनोज आदि अबिबेका॥
अर्थ की आपाधापी एक भयानक रोग के रूप में उभरकर सामने आ रहा है जिसमें हम प्रकृति को भी नष्ट करने लगते हैं शरीर को भोगों के हवाले कर देते हैं लगाना साधना में चाहिए
हमारा कर्तव्य है कि चिन्तन मनन ध्यान स्वाध्याय राष्ट्र -उपासना में हमें रत होना चाहिए सही खानपान पर ध्यान देना चाहिए
रामचरित मानस ग्रंथ हमें आत्मशक्ति से भर देता है भ्रम भय व्याकुलता से दूर कर देता है अतः इसका पाठ हमें अवश्य करना चाहिए
पीपर तरु तर ध्यान सो धरई। जाप जग्य पाकरि तर करई॥
अँब छाँह कर मानस पूजा। तजि हरि भजनु काजु नहिं दूजा॥3॥
बर तर कह हरि कथा प्रसंगा। आवहिं सुनहिं अनेक बिहंगा॥
राम चरित बिचित्र बिधि नाना। प्रेम सहित कर सादर गाना॥4॥
पीपल के नीचे ध्यान लगाया जाता है जैसे भगवान् बुद्ध ने ध्यान लगाया था प्रभु राम ने बरगद के नीचे निवास बनाया
आम के नीचे मानसिक पूजन किया जाता है यानि सबकी एक विशेषता है
पीपल, आम, बड़, गूलर एवं पाकड़ के पत्तों को जिन्हें 'पंचपल्लव' के नाम से जाना जाता है महत्त्वपूर्ण हैं पूजा में इनका प्रयोग किया जाता है
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने क्या बताया भैया प्रवीण सारस्वत जी का नाम क्यों आया जानने के लिए सुनें