21.4.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का 21-04- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 ..धन के आगे भारत की माटी भूल गई....



प्रस्तुत है  स्कन्ध ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  21-04- 2023

का  सदाचार संप्रेषण 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


  631 वां सार -संक्षेप

1=विद्वान पुरुष


( आचार्य जी के लिए प्रतिदिन एक नए विशेषण के प्रयोग का प्रयास अनवरत व्यवहार में है)


प्रसुप्त मनीषा को जाग्रत करने का, कुलबुलाती भावनाओं को व्यक्त करने का हौसला देने का, अभिमन्त्रित गीत लिखने का उत्साह देने का प्रेरक गीतों से भारतीय भावों में रहने वालों को गुंजित करने का  आचार्य जी का नित्य यह प्रयास अद्वितीय है जो प्रतिदिन हमें इन सदाचार संप्रेषणों के माध्यम से प्राप्त हो रहा है

आचार्य जी का प्रयास रहता है कि हम


(हरि माया कर अमिति प्रभावा। बिपुल बार जेहिं मोहि नचावा॥2॥)

स्वस्थ रहने की चेष्टा करें और इस संसार के महासागर में आनन्दपूर्वक तैरने की योजना बनाएं अपने भीतर के छिपे वैभव को देखें 

तथाकथित शिक्षा से हम धन कमाना तो सीख जाते हैं लेकिन भय भ्रम बुजदिली से दूर होकर आत्मशक्ति,संगठित रहने का भाव आदि प्राप्त करने के लिए हमें अध्यात्म, वास्तविक विद्या का सहारा लेना ही होगा


आचार्य जी ने तीन जनवरी 2010 को पूर्ण करी एक भावपूर्ण कविता सुनाई


शिक्षा नासमझी भरी परायी नकलमात्र

भाषा भावों के बिना रटाई जाती है.....




आइये इन भावों के साथ प्रवेश करते हैं मानस में


भव बंधन ते छूटहिं नर जपि जा कर नाम।

खर्ब निसाचर बाँधेउ नागपास सोइ राम॥58॥


गरुड़ का मन सशंकित हो गया कि जिनका नाम जपने से मनुष्य संसार के बंधन से छूट जाते हैं, उन्हीं  प्रभु राम को एक तुच्छ राक्षस ने नागपाश से कैसे बाँध लिया



गरुड़ जी ने अनेक प्रकार से अपने मन को समझाया। पर उन्हें ज्ञान  प्राप्त नहीं हुआ, भ्रम और भी अधिक छा गया।

इसके आगे आचार्य जी ने क्या बताया 

किसने बीस रामायणों का उल्लेख किया जानने के लिए सुनें