22.4.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का 22-04- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 प्रयास हो शरीर हेतु खाद्य-पेय शुद्ध हो, 

प्रयास हो कि भाव अरु विचार भी विशुद्ध हों ,

प्रयास हो कि कर्मचेतना परम प्रबुद्ध हो, 

प्रयास हो कि मन प्रशांत  अप्रलुब्ध हो। 



प्रस्तुत है  सदय ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  22-04- 2023

का  सदाचार संप्रेषण 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


  632 वां सार -संक्षेप

1= कृपालु



कल भैया शरद गुप्त जी 1992 ने हृदय को विदीर्ण करने वाली एक अत्यन्त दुःखद सूचना दी कि भैया रोहित पांडेय 1992 अब हमारे बीच नहीं रहे


ऐसे समय में "शोक" ही संसार का पर्याय है, 

हम मरणधर्मा जीव के कर में न कोइ उपाय है।


शरीर मन बुद्धि विचारों कर्मों में आये अनगिनत विकारों से हमारा चैतन्य भ्रमित हो जाता है इसलिए हमें अपने और अपनों के आध्यात्मिक चैतन्य को जाग्रत करने का प्रयास करना चाहिए

अर्थ कमाने के ढोंग से बचें


चिन्तन मनन ध्यान धारणा अध्ययन स्वाध्याय भजन आदि से कष्टों से निवारण पा सकते हैं


तबहिं होइ सब संसय भंगा। जब बहु काल करिअ सतसंगा॥2॥

आइये शान्ति प्राप्त करने के लिए प्रवेश करते हैं हरि कथा में


नारद जी के पास भ्रमित खगराज पहुंचे


प्रभु बंधन समुझत बहु भाँती। करत बिचार उरग आराती॥3॥


ब्यापक ब्रह्म बिरज बागीसा। माया मोह पार परमीसा॥

सो अवतार सुनेउँ जग माहीं। देखेउँ सो प्रभाव कछु नाहीं॥4॥

उन्हें भ्रम हो गया कि इस अवतार (प्रभु राम )का प्रभाव तो कुछ दिखा ही नहीं


भ्रम तो बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न कर देता है

नारद जी असमर्थ थे

उन्होंने ब्रह्मा जी के पास खगराज को भेजा


महामोह उपजा उर तोरें। मिटिहि न बेगि कहें खग मोरें॥

चतुरानन पहिं जाहु खगेसा। सोइ करेहु जेहि होई निदेसा॥4॥

ब्रह्मा जी उन्हें शिव जी के पास भेजते हैं

जान महेस राम प्रभुताई॥3॥


इसके आगे आचार्य जी ने क्या बताया जानने के लिए सुनें