24.4.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का 24-04- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है  बद्ध -परिकर ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  24-04- 2023

का  सदाचार संप्रेषण 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


  634 वां सार -संक्षेप

1=कमर कसे हुए

आचार्य जी अपने भावों विचारों और वाणी को समन्वित कर हमें नित्य प्रेरित करते हैं ताकि हम आत्मशक्तिसम्पन्न शरीरशक्तिसम्पन्न समाज के प्रति संगठनशक्तिसम्पन्न 

बन सकें

एक शिक्षक के रूप में आचार्य जी का यह प्रयास अद्वितीय है हम भी इसी तरह उत्कृष्ट उपादेय शिक्षक बनें और समाज को नई पीढ़ी को प्रेरित करें


पश्चिमी लोगों का चिन्तन खंडित हो जाता है हमें उस ओर ध्यान न देकर एकात्म चिन्तन का दर्शन करना चाहिए

संयोगवश सृष्टि बन गई संयोगवश विकास हो गया यह खंडित चिन्तन पश्चिम का

है

हम भ्रमित हुए अस्ताचल वाले देशों को जब देखा

अरुणाचल की छवि बनी नयन मे धुँधली कंचन रेखा

तब आया ज्योति-पुरुष केशव चेतन का सूर्य उगाता ॥५॥


ऐसे अनेक ज्योतिपुरुष इस धरती पर अवतरित होते रहे हैं राम भी परमात्मा होकर एक ज्योतिपुरुष के रूप में अवतरित हुए 

साकेत में मैथिली शरण गुप्त कहते हैं 


राम, तुम मानव हो? ईश्वर नहीं हो क्या?


विश्व में रमे हुए नहीं सभी कहीं हो क्या?


तब मैं निरीश्वर हूँ, ईश्वर क्षमा करे,


तुम न रमो तो मन तुम में रमा करे ।


जड़ चेतन गुन दोषमय बिस्व कीन्ह करतार।

संत हंस गुन गहहिं पय परिहरि बारि बिकार॥6॥


संसार में सब कुछ है क्या कुछ लेना है इस ओर ध्यान दें


रामत्व यह है कि हम संसार में रक्षा करने के लिए आये हैं


न त्वहं कामये राज्यं न स्वर्गं नापुनर्भवम् ।

कामये दुःखताप्तानां प्राणिनाम् आर्तिनाशनम् ॥



इसी से हम कर्मानुरागी बनते हैं


आइये प्रवेश करते हैं उत्तर कांड में



मिलहिं न रघुपति बिनु अनुरागा। किएँ जोग तप ग्यान बिरागा॥

उत्तर दिसि सुंदर गिरि नीला। तहँ रह काकभुसुण्डि सुसीला॥1॥


बिना प्रेम के केवल योग, तप, ज्ञान ,वैराग्य के करने से श्री राम जी नहीं मिलते। इसलिए तुम सत्संग के लिए वहाँ जाओ जहाँ उत्तर दिशा में एक सुंदर नील पर्वत है। वहाँ परम सुशील काकभुशुण्डिजी निवास करते हैं


इसके आगे आचार्य जी ने क्या बताया माता जी का नाम क्यों लिया प्रेमभूषण जी का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें