25.4.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का 25-04- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है  बर्हिषद् ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  25-04- 2023

का  सदाचार संप्रेषण 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


  635 वां सार -संक्षेप

1=कुश पर बैठे हुए



जब हम लोग विद्यालय में अध्ययन कर रहे थे तब भी आचार्य जी हमें जीवन जीने की शैली बताते थे और आज भी आचार्य जी हमें यही बताते हैं साथ ही यह भी समझाने का प्रयास करते हैं कि मनुष्य जीवन क्या है


अपना कार्य और व्यवहार राष्ट्र हित में समर्पित करते हुए  पं दीनदयाल जी की तरह  अनेक संत अद्भुत शक्ति वाली इस धरती में समा गए

उन्हीं के द्वारा दी गई राष्ट्र भक्ति हम लोगों को भी प्राप्त हुई


यद्यपि हमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रश्रय मिला उससे संस्कार मिले लेकिन हम युगभारती को उस तरह का स्वरूप नहीं दे पा रहे

प्रेम का विस्तार तो दिख रहा है



आचार्य जी ने स्मृतियों के विग्रह स्वामी रामभद्राचार्य जी की चर्चा की



आचार्य जी ने  उत्तरोत्तर का अर्थ स्पष्ट किया हमारी अधोगति न हो

उत्तरकांड में प्रवेश का अर्थ है कि 

इस धरती की समस्याओं से निजात पाते हुए हम आत्मशक्ति में प्रवेश कर रहे हैं

कुंजी से विमुखता हमारा उद्देश्य होना चाहिए व्याख्याएं अद्भुत हैं


आचार्य जी ने संस्कारित स्थानों का उल्लेख किया ऐसा ही स्थान है जहां 



गयउ गरुड़ जहँ बसइ भुसुण्डा। मति अकुंठ हरि भगति अखंडा॥

देखि सैल प्रसन्न मन भयउ। माया मोह सोच सब गयऊ॥1॥


गरुड़ जी वहाँ गए जहाँ निर्बाध बुद्धि, पूर्ण भक्ति वाले काकभुशुण्डि रहते थे। उस पर्वत को देखकर उनका मन प्रसन्न हो गया और उसके दर्शन से सब माया, मोह, सोच जाती रही



आवत देखि सकल खगराजा। हरषेउ बायस सहित समाजा॥3॥


इसके आगे आचार्य जी ने क्या बताया आचार्य जी ने जे पी आचार्य जी की चर्चा क्यों की जानने के लिए सुनें