मिलहिं न रघुपति बिनु अनुरागा। किएँ जोग तप ग्यान बिरागा॥
उत्तर दिसि सुंदर गिरि नीला। तहँ रह काकभुसुण्डि सुसीला॥1॥
प्रस्तुत है ज्ञान -भास्वर ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज 28-04- 2023
का सदाचार संप्रेषण
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638 वां सार -संक्षेप
1=ज्ञान का सूर्य
नित्य आचार्य जी हमें उत्थित प्रेरित उत्साहित करते हैं गांव समाज देश की अनुभूति कराते हैं अध्ययनशील चिन्तनशील मननशील स्वाध्यायी लेखन -योगी बनाने का प्रयास करते हैं
ब्रह्मसूत्र गीता भागवत मानस उपनिषद हमारे लिए सहज बन जाएं हम आत्मशक्ति की अनुभूति करें
आत्माश्रित होने का प्रयास करें
अंधकूप से बाहर निकलें
इसके लिए उनका यह प्रयास अद्वितीय है
ज्ञान में तर्क प्रधान होता है
भक्ति में विश्वास प्रधान होता है
परमात्मा हमारा अभिमान तुरन्त चूर करता है
आचार्य जी ने गांव पर आधारित अपनी रची एक कविता सुनाई
... भारत गांव का देश गांव इसकी थाती....
जहां छल कपट ठगी होती है वह स्थान नरक सा दिखता है तुलसीदास ने सामान्य राक्षसों के जीवन में छल कपट ठगी का जो वर्णन किया है वह भिन्न प्रकार का है
आचार्य जी ने कवितावली की चर्चा की
भलि भारत भूमि, भले कुल जन्म, समाज सरीर भला लहिकै।
करषा तजिकै, परुषा वरषा, हिम मारुत घाम सदा सहिकै॥
जौ भजै भगवान सयान सोई तुलसी हठ चातक ज्यों गहिकै।
न तो और सबै विष-बीज बये हर-हाटक काम-दुहा नहि कै।
'भारत की अच्छी तपोमय भूमि में, अच्छे कुल में जन्म प्राप्त कर , समाज और शरीर भी अच्छा पाकर, क्रोध छोड़कर, वर्षा, बर्फ, हवा और गर्मी सदा सहकर जो चातक की तरह हठ करके भगवान् को गहै और उनका ही भजन करे वही व्यक्ति सयाना है
अन्यथा
शेष सब तो सोने के हल में कामधेनु जोतकर विष के बीज बोने जैसा है
हम लोग काल्पनिक भयों और भ्रमों में इतना उलझ जाते हैं कि हम अपने से दूर हो जाते हैं
मनुष्य का तन हमें कुछ समय के लिए ही मिला है हमें उसका महत्त्व समझना चाहिए
हम अभिनय करने ही आएं हैं
हम कभी पिता हैं कभी भाई कभी व्यापारी
लेकिन जब भ्रम हो जाए कि हम बस यही हैं तो यह गलत हो जाता है
गरुड़ जी को भी यही भ्रम हो गया जब कि भगवान् राम तो लीला कर रहे थे
दिशाभ्रम हो जाए तो पूर्व पश्चिम समझ में नहीं आता
नयन दोष हो तो पीला पीला ही दिखेगा
ऐसे तमाम भ्रम हमें हो जाते हैं
हरि बिषइक अस मोह बिहंगा। सपनेहुँ नहिं अग्यान प्रसंगा॥
माया बस मतिमंद अभागी। हृदयँ जमनिका बहुबिधि लागी॥4॥
ते सठ हठ बस संसय करहीं। निज अग्यान राम पर धरहीं॥5॥
इसके आगे आचार्य जी ने क्या बताया जानने के लिए सुनें