29.4.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का 29-04- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 अध्ययन स्वाध्याय चिंतन मनन ध्यान 

भारतीय संस्कृति का दिव्यतम कोष है, 

अमर गिरा की दिव्यवाणी का प्रभाव पुंज 

विश्व-संस्कार का अखंड उद्घोष है, 

मानव का पौरुष परुष हो कि पुरुषार्थ 

इसके जवाब का सरल विश्वकोश है ,

भारत सदैव "भा" में रत रहते हुए भी 

दुष्टता -दलन हेतु मेघसंघोष है।


प्रस्तुत है  परुष -रिपु ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  29-04- 2023

का  सदाचार संप्रेषण 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


  639  वां सार -संक्षेप

1=कठोर,निर्मम हृदय वाले व्यक्तियों के शत्रु



हमें सदाचारमय विचारों से प्रबोधित करने के लिए अपने भावों से विशेष प्रभाव  डालने वाले  आचार्य जी नित्य अपना बहुमूल्य समय देते हैं हमें इसका लाभ उठाकर आत्मानन्द की अनुभूति करनी चाहिए



हम भारत में निवास करते हैं भारत जो भा में रत रहता है

इसके निवासी जब अपनी अमर -गिरा से कुछ भी उद्घोष करते हैं तो वह साहित्य -रत्नालय बन जाता है


ऐसा ही साहित्य रत्न है रामचरित मानस जिसके उत्तरकांड में आजकल हम लोग प्रविष्ट हैं

जहां हमें अपने प्रश्नों के उत्तर मिलते जाते हैं



हमें जब श्रद्धा होती है तो तुरन्त सीख जाते हैं


काम क्रोध मद लोभ रत गृहासक्त दुखरूप।

ते किमि जानहिं रघुपतिहि मूढ़ परे तम कूप॥ 73 क॥

व्यासपीठ पर आसीन कागभुशुंडी जी समझा रहे हैं

काम, क्रोध, मद और लोभ में जो व्यक्ति रत हैं और दुःख रूपी घर में आसक्त हैं, वे श्री रामजी को कैसे जान सकते हैं?

वे मूर्ख तो अंधकार रूपी कुएँ में पड़े हुए हैं


व्यासपीठ का क्या महत्त्व है इसके लिए आचार्य जी ने राजा और उसके सेवक,जो पक्षियों की भाषाएं जानता था, से संबन्धित एक कथा सुनाई


भाव से संयुत होने पर भक्ति आती है जिससे आनन्द आता है भक्ति में आनन्द है शैत्य है ज्ञान में ताप है ऊष्मा है

निर्गुन रूप सुलभ अति सगुन जान नहिं कोई।

सुगम अगम नाना चरित सुनि मुनि मन भ्रम होई॥ 73 ख॥


निर्गुण रूप अत्यंत सुलभ  है, परंतु गुणातीत सगुण रूप को कोई नहीं जानता, इसलिए उन सगुण प्रभु के विभिन्न सुगम  अगम चरित्रों को सुनकर  ऋषियों मुनियों को भी  भ्रम हो जाता है



हे पक्षीराज गरुड़जी! श्री रामजी की प्रभुता सुनिए। मैं अपनी बुद्धि के अनुसार वह  कथा कहता हूँ।  मुझे जिस प्रकार मोह हुआ, वह सब भी आपको सुनाता हूँ

इसके आगे आचार्य जी ने क्या बताया जानने के लिए सुनें