14.5.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष नवमी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 14 -05- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 असंतोष और अविश्वास दोनों ही सगे सहोदर हैं

दोनों ही अविवेकपूर्ण हैं भूखे और महोदर हैं

इनसे जो भी बच जाए यह  दुनिया उनको नन्दन है

और न बच पाया जो इनसे उन्हें अमंगल क्रंदन है


प्रस्तुत है लब्धलाभ ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज

ज्येष्ठ मास  कृष्ण पक्ष नवमी विक्रम संवत् 2080

  तदनुसार 14 -05- 2023

का  सदाचार संप्रेषण 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


  654वां सार -संक्षेप

1=संतुष्ट


(चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह। 


जिनको कछु न चाहिए, वे साहन के साह॥

साहन के साह =राजाओं के राजा

)


आइये प्रवेश करें सदाचार वेला में और ध्यानपूर्वक सात्विक गुरु आचार्य जी द्वारा प्रोक्त सदाचारमय विचारों के माध्यम से अपनी आत्मशक्ति आत्मविश्वास आत्मगौरव का वरण करें हम साधक संसार में रहते हुए सांसारिकता का संस्पर्श न करने का प्रयास करें और ऐसे साधकों का संगठन बनाएं राह में थककर बैठें नहीं मंजिल मिलेगी ही

भ्रम भय ईर्ष्या कुंठा से दूरी बनाएं




राम कहत चलु , राम कहत चलु , राम कहत चलु भाई रे ।


नाहिं तौ भव - बेगारि महँ परिहै , छुटत अति कठिनाई रे ॥१॥


बाँस पुरान साज सब अठकठ , सरल तिकोन खटोला रे ।


हमहिं दिहल करि कुटिल करमचँद मंद मोल बिनु डोला रे ॥२॥

जिनके अंदर रामत्व प्रवेश नहीं करता वे संसार को ढोते हैं

.....


मारग अगम , संग नहिं संबल , नाउँ गाउँकर भूला रे ।


तुलसिदास भव त्रास हरहु अब , होहु राम अनुकूला रे ॥५॥

आत्मविश्वास बहुत आवश्यक है

चिन्तन मनन अध्ययन स्वाध्याय सद्संगति संसार का अनुकूल खाद्य है पोषण है

और जिनका ये पोषण नहीं है उनको न संसार भाता है और न संसार को ये लोग भाते हैं


परमात्मा ने जीवात्मा को अद्भुत शक्ति सम्पन्न करके भेजा है

उठो जागो लक्ष्य प्राप्ति तक रुको नहीं


हमारा लक्ष्य मोक्ष है 

एक तुम, यह विस्तृत भू-खंड प्रकृति वैभव से भरा अमंद,

कर्म का भोग, भोग का कर्म, यही जड़ का चेतन--आनंद।


आचार्य जी ने आज उत्तरकांड में क्या बताया

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