17.5.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष त्रयोदशी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 17 -05- 2023

 उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत ।

क्षुरस्य धारा निशिता दुरत्यया दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति ।।

(कठोपनिषद्, अध्याय १, वल्ली ३, मंत्र १४)


प्रस्तुत है यतमनस् ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज

ज्येष्ठ मास  कृष्ण पक्ष त्रयोदशी विक्रम संवत् 2080

  तदनुसार 17 -05- 2023

का  सदाचार संप्रेषण 

 

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  657 वां सार -संक्षेप

1=मन को वश में रखने वाला

हमें अपने लक्ष्य की प्राप्ति तक रुकना नहीं है लक्ष्य मानव जीवन को सनाथ कर देता है


हे परमपिता! मानवपन पर

विश्वास सदा ही बना रहे,

शुभकर्मों का मंगल वितान

आजीवन सिर पर तना रहे।।


इस समय कागभुशुंडी जी और गरुड़ जी का संवाद चल रहा है

भ्रमित गरुड़ जी के मन में जिज्ञासा उत्पन्न हुई कि इतना तत्त्वदर्शी प्रभावशाली पारगामी ज्ञानी कौवा कैसे है

जो जितना संसारी भाव में लिप्त रहेगा उसका ध्यान उतना ही रूप पर रहेगा

और  सतत परिवर्तित हो रहे संसार से ऊपर उठने वाले नाम पर आधारित रहते हैं



स जातो येन जातेन याति वंशः समुन्नतिम् |परिवर्तिनि संसारे मृतः को वा न जायते ||.

लेकिन इस संसार में अमरत्व की उपासना मनुष्य ही करता है

कौवा अमरौती खाय के आवा है को स्पष्ट करते हुए आचार्य जी ने बताया कौवा अपने आप मरा तो देखा ही नहीं

कागभुशुंडी जी भी कौवा हैं 

कागभुशुंडी जी ने जन्म जन्मान्तर की कथा सुनाई


हम सनातनधर्म पर विश्वास करने वाले लोगों का ज्ञान विद्या और अविद्या के विश्लेषण को भली भांति समझता है जबकि अन्य सभ्यताओं में ज्ञान जानकारी तक सीमित है


कल की कथा में आगे


जदपि कीन्ह एहिं दारुन पापा। मैं पुनि दीन्हि कोप करि सापा॥

तदपि तुम्हारि साधुता देखी। करिहउँ एहि पर कृपा बिसेषी॥2॥


शिव जी ने प्रसन्न होकर विशेष कृपा की हामी भर दी

फिर भी


मोर श्राप द्विज ब्यर्थ न जाइहि। जन्म सहस अवस्य यह पाइहि॥3॥

हजार जन्म तो इसे मिलेंगे ही


परंतु जन्म लेने में और मरने में जो असहनीय कष्ट होता है, इसको वह दुःख जरा भी नहीं सतायेगा और किसी भी जन्म में इसका ज्ञान नहीं मिटेगा।


औरउ एक आसिषा मोरी। अप्रतिहत गति होइहि तोरी॥8॥



इसके आगे आचार्य जी ने क्या बताया त्रिकालदर्शी लोमश ऋषि की चर्चा कैसे हुई  कागभुशुंडी जी को राममन्त्र किससे मिला जानने के लिए सुनें