प्रतिपल अनुभव करना सीखो
'मैं अमरतत्व रखवाला हूँ'
परमात्म शक्ति की दिव्य ज्योति
इस जगती तल की ज्वाला हूँ।
प्रस्तुत है लब्धातिशय ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज
ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष अमावस्या शनि जंयती, वट सावित्री व्रत भरणी नक्षत्र विक्रम संवत् 2080
तदनुसार 19 -05- 2023
का सदाचार संप्रेषण
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659 वां सार -संक्षेप
1=जिसे अलौकिक शक्ति प्राप्त हो चुकी है
आजकल हम लोग श्री रामचरित मानस के उत्तरकांड में प्रविष्ट हैं
उद्बोधक प्रेरक राष्ट्रीय ग्रंथ श्री रामचरित मानस का अनुशीलन पठन पाठन कर शक्ति बुद्धि विचार संयम भक्ति ज्ञान साधना स्वाध्याय सेवाभाव संपूर्ण विश्व के कल्याण का भाव राष्ट्रीयता का भाव सांसारिक जीवन जीने का भाव संसारेतर चिन्तन प्राप्त होते हैं
उत्तरभारत में अनगिनत लोग इस सद् ग्रंथ से जीविकोपार्जन भी करते हैं
आइये प्रवेश करें उत्तरकांड में
हाहाकार कीन्ह गुर दारुन सुनि सिव साप।
कंपित मोहि बिलोकि अति उर उपजा परिताप॥107 क॥
तो अंधकार का हरण करने वाले अर्थात् गुरु शिव जी से विनती करते हैं
भगवान रुद्र की स्तुति के अष्टक द्वारा भगवान शम्भु प्रसन्न हो जाते हैं
लेकिन
मोर श्राप द्विज ब्यर्थ न जाइहि। जन्म सहस अवस्य यह पाइहि॥3॥
इस प्रकार हे पक्षीराज! मैंने बहुत से शरीर धारण किए, पर मेरा ज्ञान नहीं गया
सुनत फिरउँ हरि गुन अनुबादा। अब्याहत गति संभु प्रसादा॥6॥
काकभुशुण्डि जी लोमशजी के पास गए
सठ स्वपच्छ तव हृदयँ बिसाला। सपदि होहि पच्छी चंडाला॥
पक्षीराज गरुड़ जी! सुनिए, इसमें ऋषि का कुछ भी दोष नहीं था।
अति बिसमय पुनि पुनि पछिताई। सादर मुनि मोहि लीन्ह बोलाई॥
मम परितोष बिबिधि बिधि कीन्हा। हरषित राममंत्र तब दीन्हा॥3॥
आचार्य जी ने राममन्त्र के लिए सनतकुमार संहिता को देखने का परामर्श दिया
कागभुशुंडी जी मन्त्र पाकर आनन्द में हो गए
सदा राम प्रिय होहु तुम्ह सुभ गुन भवन अमान।
कामरूप इच्छामरन ग्यान बिराग निधान॥113 क॥
ज्ञानी का विरक्त होना कठिन होता है क्योंकि ज्ञानी जिज्ञासु होता है उसकी जिज्ञासाएं शान्त नहीं होती हैं लेकिन पराकाष्ठा पर पहुंचने पर ज्ञानी विरक्त हो जाता है
इसके आगे आचार्य जी ने क्या बताया जयशंकर प्रसाद और महादेवी वर्मा का पीपल वृक्ष से संबंधित क्या प्रसंग था
जानने के लिए सुनें