29.5.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष नवमी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 29 -05- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 पावन पर्बत बेद पुराना। राम कथा रुचिराकर नाना॥

मर्मी सज्जन सुमति कुदारी। ग्यान बिराग नयन उरगारी॥7॥


प्रस्तुत है पुरुष -पुण्डरीक ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष नवमी विक्रम संवत् 2080

  तदनुसार 29 -05- 2023

का  सदाचार संप्रेषण 

 

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  669वां सार -संक्षेप

1=श्रेष्ठ पुरुष


आजकल हम लोग उत्तरकांड में प्रविष्ट हैं ज्ञान और भक्ति के विवेचन में ज्ञान की चर्चा पूर्ण हो चुकी है


वातावरण पर्यावरण परिवेश शब्दों की व्याख्या करते हुए आचार्य जी ने बताया कि

परमात्मा की अद्भुत कृति मनुष्य का जीवन, कर्म और व्यवहार वातावरण,पर्यावरण, परिवेश आदि से प्रभावित होकर चलता रहता है


भलेउ पोच सब बिधि उपजाए। गनि गुन दोष बेद बिलगाए॥

कहहिं बेद इतिहास पुराना। बिधि प्रपंचु गुन अवगुन साना॥2॥


इन्हीं मनुष्यों में किसी महत्त्वपूर्ण व्यक्ति का आश्रय लेकर शिक्षक शिक्षार्थी को शिक्षित करता है

अद्भुत है शिक्षकत्व


यदि शिक्षक को यह अनुभव हो जाता है कि शिक्षार्थी जिज्ञासु है तो शिक्षक प्रयास करता है कि उसकी जिज्ञासा वह शान्त कर सके



विद्यालय में पढ़ते समय जब हम अबोध थे संसार ने उतना संस्पर्शित नहीं किया था तब भी आचार्य जी से हम सद्विचार ग्रहण करते थे

और आज भी हनुमान जी की कृपा से यह सिलसिला चल रहा है आज भी सदाचार उतना ही महत्त्वपूर्ण है

जो अद्भुत अनुभूतियों में विचरण करके आचार्य जी द्वारा आज भी अभिव्यक्त किया जा रहा है


बहुचर्चित तपस्वी चिन्तक लेखक इतिहासकार कवि त्यागी वीर सावरकर

पर लिखी आचार्य जी की ये पंक्तियां 


कथा कविता ज्वलित इतिहास के विग्रह मनीषी तुम

समर्पण त्याग तप पर्याय हिम्मत के शुभैषी तुम

तुम्हारी साधना की छाँव में भारत पुलकता है 

हमेशा देशभक्तों के लिए भारत- हितैषी तुम।

अत्यन्त प्रेरक हैं


वीर सावरकर भारतीय इतिहास के छह स्वर्णिम पृष्ठ के लेखक हैं

सद्गुण विकृति के कारण यह वीर तपस्वी चिन्तक विचारक देश गुलामी के चक्रव्यूह में फंस गया

संघर्ष करते    पीढ़ियां  गुजर गईं


आज भी हम संघर्ष कर रहे हैं जिसके लिए हमें संगठन का महत्त्व समझना है तुलसीदास जी ने मानस में संगठन की महत्ता दर्शाई है   इसमें प्रभु राम के जीवन के उतार   चढ़ाव अद्भुत भावनाओं के साथ व्यक्त हैं क्योंकि उस समय भी भारत की जनता त्राहि त्राहि कर रही थी और उसे संगठित होने की जरूरत थी उसे शौर्य पराक्रम की आवश्यकता थी


तपस्वियों की भूमि में राक्षस कैसे पनप गए चिन्तन इसका होना चाहिए  शंकराचार्य की जन्मस्थली केरल का आज क्या हाल है हम लोग इस पर विचार करें 

अपने लक्ष्य को पहचानें संगठन का महत्त्व समझते हुए संकल्प लें

हमें जाग्रत होने की आवश्यकता है

इसके अतिरिक्त 

भैया नीरज जी भैया पंकज जी का नाम क्यों आया जानने के लिए सुनें