1.6.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष द्वादशी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 01 -06- 2023

 धीरज धर्म मित्र अरु नारी। आपद काल परिखिअहिं चारी॥

बृद्ध रोगबस जड़ धनहीना। अंध बधिर क्रोधी अति दीना॥4॥


प्रस्तुत है आप्यान ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष द्वादशी विक्रम संवत् 2080

  तदनुसार 01 -06- 2023

का  सदाचार संप्रेषण 

 

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  672 वां सार -संक्षेप

1=संतुष्ट


सदाचारमय विचारों को ग्रहण करने के लिए अपने भावों को विस्तारित करने के लिए आइये उपस्थित हो जाएं सदाचार वेला में


श्री रामचरित मानस इतिहास -ग्रंथ, भक्ति -ग्रंथ, ज्ञान -ग्रंथ, मार्गदर्शक -ग्रंथ  और जीवन को शक्ति,आश्रय ,विश्वास,अनेक विघ्नों के आने पर भी मर्यादा में रहते हुए जीवन को जीने की प्रेरणा देने वाला ग्रंथ है

यह अद्भुत ग्रंथ हमें भाव विह्वलित कर देता है



अब हम इसी ग्रंथ के पक्षीराज और कागभुशुंडी जी के बीच चल रहे संवाद वाले अंश में प्रवेश करने जा रहे हैं



गरुड़जी के सात प्रश्न तथा काकभुशुण्डि के उत्तर




पुनि सप्रेम बोलेउ खगराऊ। जौं कृपाल मोहि ऊपर भाऊ॥।

नाथ मोहि निज सेवक जानी। सप्त प्रस्न मम कहहु बखानी॥1॥


सब ते दुर्लभ कवन सरीरा


बड़ दु:ख कवन


 कवन सुख भारी


संत असंत सहज सुभाव 


कवन पुन्य  बिसाला


  कवन अघ परम कराला


मानस रोग कहहु समुझाई




सबसे दुर्लभ शरीर मनुष्य का है हमें यह भी समझना चाहिए कि परमात्मा हमारे प्रति कितना भावमय है जिसके कारण हमारा मनुष्य रूप में जन्म हुआ और उसमें भी यदि   अद्भुत पर्यावरण परिवेश वातावरण वाले धर्मक्षेत्र भारत में जन्म हो जाए तो क्या कहना


इस मनुष्य को भगवद्भक्ति में लगना चाहिए ऐश्वर्यवान भगवान का भजन क्या है आचार्य जी ने इसे स्पष्ट किया


जहां भाव शक्ति शौर्य तप त्याग आनन्दमय परिस्थितियों का ऐश्वर्य हो उसका भजन करना चाहिए

भारत मां पर न्यौछावर तक हो जाने वाला सैनिक भगवद्भक्ति ही करता है


जो अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित हो जाए वही भगवद्भक्त है

दरिद्रता के समान कोई दुःख नहीं है आचार्य जी ने अपनी लिखी एक कविता सुनाई...

....

गरीबी सत्य के संधान का सोपान होती है

मगर वह धैर्यहीनों के लिए तूफान होती है.....

आचार्य जी ने गरीब और दरिद्र में अंतर स्पष्ट किया

गरीबी और पुरुषार्थ एक साथ नहीं चलते 

जिसने मनुष्य का शरीर पा लिया वो दरिद्र नहीं है आचार्य जी ने इसी पर बैरिस्टर साहब का एक प्रसंग बताया यह प्रसंग क्या था

सबसे  बड़ा सुख कौन सा है आदि जानने के लिए सुनें