कभी मैं छंद में बंधकर कभी स्वच्छन्द रुख रखकर
कभी कुछ शब्द टकसाली सुना विद्वान बनता हूं
कभी अखबार टीवी या मुफ़त का फोन सुन पढ़कर
नजर में गांव वालों की बड़ा गुणवान बनता हूं
मगर जब झांकता सचमुच सरल बन आत्म अभ्यंतर
सहज ही मौन मन में राम को अभिराम सुनता हूं
प्रस्तुत है ज्ञान -अर्चिस् ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आषाढ़ कृष्ण पक्ष
षष्ठी ,विक्रम संवत् 2080
तदनुसार 10 -06- 2023
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
681 वां सार -संक्षेप
1=ज्ञान का प्रकाश
पखेरू! भले छत छुओ व्योम की, पर
धरा पर तुम्हे लौट आना पड़ेगा
निराधार आधेय को अंत में तो,
सहारा यहीं का दिलाना पड़ेगा
(पखेरू / शिशु पाल सिंह 'शिशु')
आचार्य जी हमें सदैव चिन्तन मनन अध्ययन स्वाध्याय निदिध्यासन लेखनयोग सतत रामार्चन के लिए प्रेरित करते हैं आइये पुनः प्रवेश करते हैं आचार्य जी की सदाचार वेला में सदाचारमय विचारों को ग्रहण करने के लिए आनन्द की वर्षा में भीगने के लिए
आचार्य जी ने भारत के एक महान दार्शनिक एवं धर्मप्रवर्तक आदि शङ्कराचार्य,
जिन्होंने भारतवर्ष में चार कोनों में चार मठों की स्थापना की थी जो बहुत प्रसिद्ध और पवित्र माने जाते हैं और जिन पर आसीन संन्यासी 'शंकराचार्य' कहे जाते हैं, जिन्होंने समस्त भारतवर्ष में भ्रमण करके बौद्ध धर्म को मिथ्या प्रमाणित किया तथा वैदिक धर्म को सत्य प्रमाणित किया और हमारी संस्कृति को सुरक्षित रखने वाली सनातनत्व को जीवित रखने वाली परम्परा प्रारम्भ कर दी , के जन्मस्थान कालड़ी, चेर साम्राज्य
वर्तमान में केरल, भारत की चर्चा करते हुए बताया कि वह अत्यन्त दिव्य स्थान है
शंकराचार्य जी के गुरु गोविन्दपादाचार्य जी ने उन्हें तप करने के लिए कहा
तप अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है सारी प्रकृति तप करती है ब्रह्मा विष्णु महेश सभी तपस्वी हैं
कर्मानुराग समर्पण शील साधना सभी तप हैं
तप और हठ में अन्तर है
दीनदयाल जी ने भी शंकराचार्य पुस्तक लिखी
अहं निर्विकल्पो निराकाररूपो विभुत्वाच्च सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणाम् ।..
शंकराचार्य ने उपनिषदों का
भाष्य ब्रह्मसूत्र लिखा
उपनिषद् जिसका 'गुरु के निकट 'अर्थ हुआ को वेदान्त भी कहते हैं
उपनिषद वह साहित्य है जिसमें जीवन और जगत के रहस्यों का उद्घाटन हुआ है निरूपण और विवेचन भी हुआ है
ज्ञान का दम्भ न हो जाए इसलिए उपासना बहुत आवश्यक है
आचार्य जी ने अवतार और उद्धार का अर्थ भी बताया
आत्मस्वरूप में बैठना अद्भुत है
आचार्य जी ने स्व सुदर्शन चक्र जी और स्व प्रो अमरेन्द्र जी की चर्चा क्यों की
भैया दीपक शर्मा भैया पंकज भैया मनीष कृष्णा की चर्चा क्यों की आदि जानने के लिए सुनें