स्वतंत्र रीति नीति प्रेम प्रीति का प्रसार हो,
अखंड हिंदुराष्ट्र के विचार का प्रचार हो,
सुसंस्कार हों सुदृढ़ सतत् गहन विचार हो,
जवानियों में रंचमात्र भी न दुर्विचार हो।
प्रस्तुत है नर्मठ -रिपु ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आषाढ़ कृष्ण पक्ष
अष्टमी ,विक्रम संवत् 2080
तदनुसार 12 -06- 2023
का सदाचार संप्रेषण
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683 वां सार -संक्षेप
1नर्मठ =दुश्चरित्र
हम लोगों के लिए अत्यन्त लाभकारी,अनुभवजन्य संस्कार प्राप्त करने के लिए,समाजोन्मुखी जीवन जीने में सहायक,राष्ट्र के लिए सतत जाग्रत रहने की प्रेरणा देने वाली, तथ्यों के साथ राष्ट्रद्रोहियों से आगाह करने वाली सदाचार वेलाओं के क्रम में आइये प्रवेश करें आज की सदाचार वेला में
अत्यन्त अनुभवी आचार्य जी द्वारा दिये गए बहुमूल्य समय का आइये लाभ उठाएं
व्यक्तिगत काम करते हुए हम अपनी दृष्टि समाज और राष्ट्र के हित में बनाएं रखते हैं यह बात हम सभी को आनन्दित करती है क्यों कि हमारा लक्ष्य ही है
राष्ट्र -निष्ठा से परिपूर्ण समाजोन्मुखी व्यक्तित्व का उत्कर्ष
अखंड भारत का चित्र हमारे मन मस्तिष्क में छाया रहना चाहिए
मां पार्वती दूसरा जन्म लेकर शिव जी से प्रश्न करती हैं
तो शिव जी कहते हैं
हरि गुन नाम अपार कथा रूप अगनित अमित।
मैं निज मति अनुसार कहउँ उमा सादर सुनहु॥ 120(घ)॥
सुनु गिरिजा हरिचरित सुहाए। बिपुल बिसद निगमागम गाए॥
हरि अवतार हेतु जेहि होई। इदमित्थं कहि जाइ न सोई॥
हे पार्वती! सुनिए , वेद-शास्त्रों ने हरि के सुंदर, विस्तृत और निर्मल चरित्रों का गुणगान किया है। हरि का अवतार जिस कारण से होता है, वह कारण 'बस यही है' ऐसा कदापि नहीं कहा जा सकता (अनेक कारण हो सकते हैं और ऐसे कारण भी हो सकते हैं, जिन्हें कोई जान ही नहीं सकता)
जब जब होई धरम कै हानी। बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी॥
करहिं अनीति जाइ नहिं बरनी। सीदहिं बिप्र धेनु सुर धरनी॥
तब तब प्रभु धरि बिबिध सरीरा। हरहिं कृपानिधि सज्जन पीरा॥
असुर मारि थापहिं सुरन्ह राखहिं निज श्रुति सेतु।
जग बिस्तारहिं बिसद जस राम जन्म कर हेतु॥ 121॥
सोइ जस गाइ भगत भव तरहीं। कृपासिंधु जन हित तनु धरहीं॥
राम जनम के हेतु अनेका। परम बिचित्र एक तें एका॥
रामजन्म विविध रूप में होते रहते हैं हम सभी अणुआत्माएं अवतार लेकर आएं हैं इसे समझने का प्रयास करें षड्रिपु में फंसकर अमूल्य जीवन को व्यर्थ करने पर सिर्फ पछतावा ही होता है
अच्छे कामों की स्मृतियों का हम स्वयं भी आनन्द उठाते हैं आचार्य जी ने डायरी लेखन के लिए प्रेरित किया
कल की बैठक की चर्चा करते हुए आचार्य जी ने कहा कि डा ज्योति जी के कार्यक्रम में हम लोग सहयोग करें कौस्तुभ जी को अपने साथ संयुत करें
इन सदाचार वेलाओं का फीडबैक भी लें
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने क्या बताया भावावेश क्यों आवश्यक है जानने के लिए सुनें