15.6.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आषाढ़ कृष्ण पक्ष एकादशी ,विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 15 -06- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 वीतरागभयक्रोधा मन्मया मामुपाश्रिताः।


बहवो ज्ञानतपसा पूता मद्भावमागताः।।4.10।।



प्रस्तुत है स्वनामधन्य ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आषाढ़ कृष्ण पक्ष

एकादशी ,विक्रम संवत् 2080

  तदनुसार 15 -06- 2023

का  सदाचार संप्रेषण 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


  686 वां सार -संक्षेप

1 : अपने नाम को जिसने धन्य किया है 


स्थान :चित्रकूट



आचार्य जी का दूरस्थ संबोधन हमें प्रेरित और उत्साहित करने के लिए है ताकि हम संकटों के आने पर उनका आसानी से सामना कर सकें समस्याओं को आसानी से सुलझा सकें लोककल्याण के लिए उद्यत हो सकें

आचार्य जी इस बात का भी ध्यान रखते हैं कि यात्रा और प्रवास में सदाचारवेला का क्रम न टूटे इस संबोधन का स्वभाव वही रहता है

हमें भाव और रूप का संयोजन स्पष्ट है

भाव विचार और क्रिया के त्रिकोण के आधार पर हम चिन्तनपूर्वक महान से महान काम कर जाते हैं

डा हेडगेवार के सामने स्पष्ट चित्र खिंचा हुआ था कि अपना देश संगठित  और  चरित्रसम्पन्न हो जाए जिसके लिए इसी देश में जन्मे  इसके लिए जी रहे  इसी के लिए मरने के लिए भी सदैव उद्यत हिन्दुओं का संगठन आवश्यक है

ऐसे हिन्दू जिनके भाव विचार संकल्प इस राष्ट्र के लिए समर्पित हैं


जब तक हमारा संगठन मजबूत नहीं होगा विचार शुद्ध नहीं होंगे तब तक हमारा व्यवहार  भी निष्कलुष नहीं होगा स्वार्थ के साथ कभी परमार्थ नहीं होता

याज्ञवल्क्य मैत्रेयी संवाद वाला स्वार्थ भिन्न है वह स्व आत्म है जिसे पहचानना बहुत मुश्किल है

लेकिन उस स्व को हमारे देश के ऋषियों ने पहचाना है इस 

नामरूपात्मक जगत में नाम प्रभावकारी है रूप प्रभावकारी नहीं है

आचार्य जी ने रामसेतु का वह प्रसंग बताया जिसमें भगवान् राम का पत्थर डूब गया था

राम से अधिक राम का नाम  बड़ा है

इस नामरूपात्मक जगत में हम नाम के प्रति बहुत जाग्रत सचेत सतर्क रहते हैं

नाम के विस्तार के लिए यह बहुत आवश्यक है

हम लोगों की संवेदनशीलता जागरूकता सक्रियता सेवा साधना देश के नाम के लिए सदैव है

हम अपने अन्दर नेतृत्व की क्षमता विकसित करें

राष्ट्र -भक्ति राष्ट्र -सेवा  के महत्त्व को समझें संकल्प रूपी तप करें संकल्प से सिद्धि तक की यात्रा में अपने कदम    बढ़ा दें 

परमात्मा ने भी संकल्प रूपी तप किया था


तेजस जाग्रत कर अंधकार मिटाएं

अन्य को भी उत्साहित करने के लिए कटिबद्ध हों

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया पंकज जी का नाम क्यों लिया छत्रपति शिवा जी की तरह और कौन था जानने के लिए सुनें आज का यह उद्बोधन