प्रस्तुत है विखुर -रिपु ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आषाढ़ शुक्ल पक्ष
षष्ठी ,विक्रम संवत् 2080
तदनुसार 24-06- 2023
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
695 वां सार -संक्षेप
1 :विखुरः =राक्षस
आज की सदाचार वेला में सोत्साह हम शिष्य उपस्थित हैं। अज्ञानांधकार को दूर करने वाले आचार्य श्री ओम शंकर जी नित्य हमें धर्मपथ पर चलने के लिए, मनुष्यत्व की अनुभूति कराने के लिए प्रेरित करते हैं l यह कलियुग है अज्ञान का अंधकार हम सब पर छाया रहता है लेकिन परमात्मा की कृपा से हमें यह अंधकार दूर करने का अवसर भी मिलता है यह वेला ऐसा ही एक अवसर है आइये इसका लाभ उठाकर सात्विक चिन्तन में रत हो जाएँ और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में कदम बढ़ा लें
1998 बैच के भैया निर्भय और 1998 बैच के ही भैया प्रशांत वाजपेयी जो लगभग 5 वर्ष बाद अमेरिका से भारत आए हैं,आचार्य जी से कल युग भारती प्रयास केंद्र में अत्यन्त आत्मीयता से मिले
यह अपनापन अत्यन्त अद्भुत है कष्ट में भी सुख की अनुभूति होती है सत्य है कि प्रेम ही ईश्वर है
इसके बाद
भैया प्रदीप वाजपेयी, भैया अरविंद तिवारी, भैया पुनीत श्रीवास्तव भी आये
अत्यन्त आनन्द का वातावरण रहा
भैया मुकेश जी भी उपस्थित रहे
आचार्य जी ने मंडनमिश्र की पुस्तक जीवन मुक्ति विवेक की चर्चा की
इसमें लेखक ने ज्ञानियों की जीवित अवस्था में रहने पर भी मोक्ष की अवस्था का स्वरूप बतलाया है श्री रामकृष्ण परमहंस जीवन मुक्त ज्ञानी थे
केवल प्राणों का परिरक्षण जीवन नहीं हुआ करता है
जीवन जीने को दुनिया में अनगिन सुख सुर साज चाहिए......
आचार्य जी ने लेखन योग का महत्त्व बताया अपना लेखन अपना मित्र हो जाता है स्वलेखन का अभ्यास अद्भुत है स्वलेखन एक साधना है
इससे मनुष्य के जीवन का आनन्द पक्ष सुस्पष्ट होता है
अपनी समस्याएं फिर हमें आपने को गम्भीर नहीं लगती हैं अपनी रचनाधर्मिता को अपने से दूर न करें अर्थार्जन में इतने व्यस्त न हों कि स्वानुभूति का समय ही न मिले
आचार्य जी ने परामर्श दिया कि 24 घंटे का एक कार्यक्रम करें जिसमें जिज्ञासु और प्रयोगधर्मी सदस्य आएं किसी एक विषय पर चिन्तन मनन का प्रयोग करें और इस प्रयोग से कई सिद्धान्त विकसित होंगे
इसके अतिरिक्त धीरेन्द्र शास्त्री जी और भैया आशु शुक्ल जी की चर्चा आचार्य जी ने क्यों की जानने के लिए सुनें आज का यह उद्बोधन