तच्चक्षुर्देवहितं पुरस्ताच्छुक्रमुच्चरत् । पश्येम शरदः शतं जीवेम शरदः शतं श्रुणुयाम शरदः शतं प्रब्रवाम शरदः शतमदीनाः स्याम शरदः शतं भूयश्च शरदः शतात् ॥
(शुक्लयजुर्वेदसंहिता, अध्याय 36, मंत्र 24)
प्रस्तुत है अनागतविधातृ ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण कृष्ण पक्ष
प्रतिपदा विक्रम संवत् 2080
तदनुसार 04-07- 2023
का सदाचार संप्रेषण
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705 वां सार -संक्षेप
1 :दूरदर्शी
आत्मज्ञान की इस नित्य कक्षा में आचार्य जी के सदाचारमय विचार हम भ्रमित मनुष्यों को मनुष्यत्व की अनुभूति कराके समाज और राष्ट्र के प्रति निष्ठावान बनाने का प्रयास करते हैं
ये विचार आत्मीयता वाले भाव के विस्तार की आवश्यकता पर बल देते हैं क्योंकि आत्मीयता ही हमें परमात्मा के निकट पहुंचाती है यानि उसके रहस्य को हम जान जाते हैं
आइये इस कक्षा पर श्रद्धा और विश्वास करके इससे लाभ प्राप्त करें
संसार एक महारंगमंच है इसकी कथाएं अनन्त हैं सृष्टि स्रष्टा संचालन विलयन अद्भुत है कभी हम मनुष्यों का इससे लगाव कभी दुराव होता है
हम इसके अभिनेता हैं अलग अलग दायित्व हैं
हम अपने दायित्व का उचित रूप से निर्वाह करें
हम सबके अंदर गुरु विद्यमान है वह गुरु संपूर्ण शरीर चक्र में जीवन चक्र में संसार चक्र में स्रष्टा के प्राप्त करने के भाव में कभी आनन्दित तो कभी व्यथित रहता है सफलता के लिए संघर्ष करता है
ऐसा है ये संसार
इस संसार के सत्य को समझने के लिए मनुष्य में ऐसी ज्ञान -गरिमा प्रविष्ट है
उसे जानकर कुछ मनुष्य आनन्द का अनुभव करते हैं और
कष्टों को भूल जाते हैं
सारे ग्रंथ इसी के प्रमाण हैं
इसी में रामचरित मानस तो अद्भुत है जिसके दो पृष्ठों की सारी चौपाइयों का अर्थ भी कोई ठीक से नहीं बता सकता
अध्यात्म लेकिन शौर्य को संयुत करती तुलसीदास जी की इसी ग्रंथ की ये पंक्तियां हमें रामत्व का वास्तविक अर्थ दिखलाती हैं
इतिहास की उन भूलों को याद करके हम सजग सचेत रहें
प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यान घन।
जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर॥17॥
(सोरठा )
मैं पवनकुमार श्री हनुमानजी को प्रणाम करता हूँ, जो दुष्ट रूपी अरण्य को भस्म करने के लिए अग्नि के समान हैं, जो ज्ञान की घनमूर्ति हैं जिनके हृदय रूपी भवन में धनुष बाण धारण किए प्रभु निवास करते हैं
इसके अतिरिक्त
आचार्य जी को मानस के किस बहुत अच्छे अध्येता ने पढ़ाया
दीनदयाल जी के जन्मदिन पर एक दिन के स्थान पर साप्ताहिक वार्षिकोत्सव करने का सुझाव किसने दिया था जीप का क्या प्रसंग है
भैया यज्ञदत्त भैया पंकज जी का नाम क्यों आया गुरुत्व क्या है आदि जानने के लिए सुनें