21.7.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का अधिक श्रावण मास शुक्ल पक्ष चतुर्थी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 21-07- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 खुला शम्भु का नेत्र आज फिर वह प्रलयंकर जागा 

तांडव की वह लपटें जागी वह शिवशंकर जागा

तालताल पर होता जाता पापों का अवसान॥


ऊपर हिम से ढकी खड़ी हैं वे पर्वत मालाएँ

सुलग रही हैं भीतर-भीतर प्रलयंकर ज्वालाएँ

उन लपटों में दीख रहा है भारत का उत्थान॥


प्रस्तुत है ऐश्वर ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज अधिक श्रावण मास शुक्ल पक्ष चतुर्थी विक्रम संवत् 2080

  तदनुसार 21-07- 2023


का  सदाचार संप्रेषण 


  722 वां सार -संक्षेप

1 : शक्तिशाली




केरा तबहि न चेतिया, जब ढिंग लागी बेर |

                अब के चेते का भयों, जब काटनि लीन्ही घेर ।।

संदेश बहुत स्पष्ट है हमें सचेत हो जाना चाहिए

देश की स्थिति गंभीर है | सन् 2024 के आम चुनाव हेतु हमें अपनी भूमिका को पहचानना है कम से कम दो माह के लिए संकल्पित होकर उस भीड़ वाले वर्ग को जाग्रत करना होगा जो बहुत जल्दी प्रलोभनों में आकर  अपना वोट झोंक आता है। दुष्टों से हमें सचेत रहना है। । दुष्टों से सामना करने के लिए हमें सशक्त बनना होगा | आचार्य जी का प्रयास रहता है कि हमारे अन्दर अग्निस्वरूपा उत्साह आए | 

रामचरित मानस का भी संदेश बहुत स्पष्ट है श्री राम ने जो संकल्प किया कि निसिचर हीन करउं महि .. उसे पूरा करके ही राज्य करने बैठे 

 क्योंकि ऋषियों की  अंतड़ियों का रावण लहू चूस रहा था


आज भी बहुत से रावण लहू चूस रहे हैं 

देश के सात्विक स्वभाव संयम श्रद्धा विश्वास को नष्ट करने का जो कुत्सित प्रयास चल रहा है हमें उससे सचेत रहना है

जब सशक्त नेतृत्व होता है तब विषमता खोती है


बयरु न कर काहू सन कोई / राम प्रताप बिषमता खोई।।

नरेन्द्र मोदी जी के रूप में हमें ऐसा ही सशक्त नेतृत्व मिला है 

भारतीय नेतृत्वकर्ता को खाद्याखाद्य दिवेक ( अगर जीवन अपवित्र है तो चिन्तन कैसे महान हो सकता है), संयम, स्वाध्याय,सेवा , शौर्य की साधना और अध्यात्म पर विश्वास आदि गुणों के आधार पर परखा जाना चाहिए नरेंद्र मोदी जी इस पर खरे उतरते  हैं। यह हमारा सौभाग्य है कि हमें ऐसा नेतृत्व मिला है हमे आगे भी इन्हें ही कमान सौंपने के लिए कटिबद्ध होना है

लेकिन अकेले वे ही संघर्ष करते रहेंगे तो संकट आ जायेगा इसलिए हमें अपनी भूमिका देखनी है इस गम्भीर युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए विश्वामित्र वाल्मीकि अगस्त्य हनुमान   गरुड़ आदि सभी की आवश्यकता है

नित्य विचार चिन्तन स्वाध्याय  अध्ययन करें

शौर्य शक्ति का वरण करें शौर्य शक्ति प्राप्त करने के लिए साधना की आवश्यकता है

भारत के अखंड स्वरूप का चिन्तन करें


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने


को छूट्यो इहि जाल परि, कत कुरंग अकुलात

                ज्यों-ज्यों सुरझि भज्यो चहत, त्यों-त्यों उरझत जात

किस प्रसंग में कहा जानने के लिए सुनें