प्रस्तुत है पुण्योद्यान ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज अधिक श्रावण मास शुक्ल पक्ष पंचमी विक्रम संवत् 2080
तदनुसार 22-07- 2023
का सदाचार संप्रेषण
723 वां सार -संक्षेप
1 : सुन्दर उद्यान रखने वाला
(युगभारती रूपी सुन्दर उद्यान जिसके पुष्प स्थान स्थान पर अपनी सुगंध फैला रहे हैं कोई यज्ञ करवा रहा है कोई संगठन को मजबूत कर रहा है कोई समन्वय स्थापित करते सद्विचार प्रेषित कर रहा है कोई समाज सेवा कर परोपकार रहा है )
कविश्रेष्ठ दार्शनिक लोकनायक तुलसीदास जी के साहित्य में समन्वय का विराट् भाव परिलक्षित होता है
उनके समय में काशी में शैव वैष्णव के बीच का संघर्ष देश को हानि पहुंचा रहा था
और उनके बीच उन्होंने समन्वय स्थापित करने के लिए भरपूर प्रयास किया
यह चौपाई देखिए
जपहु जाइ संकर सत नामा। होइहि हृदयँ तुरत बिश्रामा॥
कोउ नहिं सिव समान प्रिय मोरे। असि परतीति तजहु जनि भोरे॥
भगवान ने कहा जाकर शंकर के शतनाम का जप करो, हृदय में तुरंत शांति स्थापित होगी। शिव की तरह तो मुझे कोई भी प्रिय नहीं है, इस विश्वास को भूलकर भी न त्यागना
प्रभु राम जी की कथा को शिव जी के मुख से कहलवाना उनके स्पष्ट लक्ष्य को दर्शाता है
सिव द्रोही मम दास कहावा।
सो नर सपनेहुं मोहि नहिं पावा।।
इसी प्रकार जब हम एक लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं तो हमें विवादों में प्रवेश नहीं करना चाहिए दुष्ट इसका लाभ उठा लेते हैं इतिहास में ऐसा होता आया है
हमारा लक्ष्य है राष्ट्र -निष्ठा से परिपूर्ण समाजोन्मुखी व्यक्तित्व का उत्कर्ष
देश इस समय गम्भीर संकट में है इसलिए विवादों में हम अपना समय नष्ट न करें
आगामी चुनाव में अपनी भूमिका स्पष्ट रखें राष्ट्रोचित भाव रखें कालनेमियों से सावधान रहते हुए वास्तविक राष्ट्रभक्तों का साथ दें मुष्टीमुष्टि नखानखि न कर एक साथ आ जाएं
कोई भी सदाचारमय विचार लक्ष्यविहीन नहीं होता समय ऐसा है परिस्थितियां ऐसी हैं कि
उन्मार्गगामी होना बहुत आसान है और जब अस्ताचल देशों का फैलाया भ्रम, विषाक्त प्रभाव डालने वाला शैक्षिक विकार साथ हो तो यह और आसान हो जाता है
षड्विकारों से ग्रस्त होने पर मनुष्य को अपनी बात ही सही लगती है
आचार्य जी का नित्य यही प्रयास रहता है कि हम सदाचारमय विचार ग्रहण कर सन्मार्ग पर चलने का प्रयास करें हमें जाग्रत करने का उनका स्पष्ट लक्ष्य है
ईश्वर से हम लोग प्रार्थना करें कि उनका यह प्रयास अनवरत चलता रहे
त्रेतायुग से लेकर आज तक मार्गदर्शक संरक्षक हनुमान जी एक लक्ष्य को लेकर सन्नद्ध हैं भारत वर्ष की प्राणिक ऊर्जा को संरक्षित सुरक्षित रखने का
माध्यम बन जाते हैं ऋषि तपस्वी समझदार पुरुष सदाचारी नेतृत्वकर्ता संस्थाएं
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने नारद मोह प्रसंग के बारे में क्या बताया कितने आम खराब हो गए आदि जानने के लिए सुनें