23.7.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का अधिक श्रावण मास शुक्ल पक्ष षष्ठी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 23-07- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 हमारा अपना शरीर  हमारा संसार है हमें बहुत प्रिय लगता है लेकिन किसी शरीर से जैसे ही प्राण निकलते हैं तो वह प्रिय  नहीं लगता है......




प्रस्तुत है ओजस्य ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज अधिक श्रावण मास शुक्ल पक्ष षष्ठी विक्रम संवत् 2080

  तदनुसार 23-07- 2023


का  सदाचार संप्रेषण 


  *724 वां* सार -संक्षेप

1 : शक्तिशाली




यह सदाचार संप्रेषण आत्मबोध का उत्सव है यह एक ऐसा विलक्षण लक्ष्य है जो हम मनुष्यों को मनुष्यत्व का बोध कराता है हमें चिन्तन मनन निदिध्यासन लेखन ध्यान धारणा के लिए प्रेरित करता है हमारा सर्वाङ्गीण विकास करता है हमें यह बताता है कि मनुष्य का जीवन कितना महत्त्वपूर्ण है

 संस्कारी परिवार परिवेश विद्यालय संस्थान की तरह ये हमारा उत्थान करता है हमें संस्कारवान बनाता है

प्रतिदिन का यह संप्रेषण हमारे भावों का विस्तार कर इस असार नाशवान संसार के तात्विक पक्ष को उजागर करने लगा है

हममें से बहुत से लोग जब अपने लक्ष्यों का निर्धारण करते हैं तो उनकी सूची में इसका श्रवण एक अनिवार्य अति महत्त्वपूर्ण लक्ष्य हो जाता है


आइये परमात्मतत्व की अनुभूति करें हम अनुभूति करें कि हम सब परमात्मा के अंश हैं दम्भरहित बनें

पुण्यात्मा कृतज्ञ गुणवान बनें दैहिक दैविक भौतिक ताप हमें न व्यापे परस्पर प्रेम से रहें एक दूसरे की खींचातानी में समय व्यर्थ न करें इस देश जिसका देवता भी गुणगान करते हैं जो विश्वगुरु बना था के अस्तित्व को बचाने का संगठित प्रयास करें

जिस तरह से रामराज्य में किसी को  त्रिताप नहीं व्याप रहे थे एक दूसरे से प्रेम कर रहे थे

हाथी और सिंह वैर भूलकर एक साथ रह रहे थे


फूलहिं फरहिं सदा तरु कानन। रहहिं एक सँग गज पंचानन॥

खग मृग सहज बयरु बिसराई। सबन्हि परस्पर प्रीति बढ़ाई॥1॥

चिदानन्द रूप के संसारी रूप में आने पर यह रामराज्य संभव हुआ

वह तत्त्व अवतारी होकर हमारे बीच रहने लगा

भगवान राम ने अद्वितीय महान उद्यम किया


 ३ अगस्त १८८६ को पिता सेठ रामचरण कनकने और माता काशी बाई की तीसरी संतान के रूप में उत्तर प्रदेश में झांसी के पास चिरगांव में जन्मे मैथिली शरण गुप्त साकेत में लिखते हैं 



राम, तुम मानव हो? ईश्वर नहीं हो क्या?


विश्व में रमे हुए नहीं सभी कही हो क्या?


तब मैं निरीश्वर हूँ, ईश्वर क्षमा करे,


तुम न रमो तो मन तुम में रमा करे ।


इसके अतिरिक्त उर्मिला मांडवी आदि पात्रों पर ध्यान देने के लिए किसने कहा पतले ईंटे का दीनदयाल जी से संबन्धित क्या प्रसंग था जानने के लिए सुनें