26.7.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का अधिक श्रावण मास शुक्ल पक्ष नवमी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 26 जुलाई 2023 का सदाचार संप्रेषण 727 वां सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है वैनयिक ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज अधिक श्रावण मास शुक्ल पक्ष नवमी विक्रम संवत् 2080  तदनुसार 26 जुलाई 2023 का  सदाचार संप्रेषण 

  727 वां सार -संक्षेप

1 : शिष्टाचार का व्यवहार करने वाला


आचार्य जी लेखन योग का महत्त्व बताते हुए कहते हैं लिखे हुए अक्षर मां सरस्वती की मूर्तियां हैं हमें इनकी पूजा करनी चाहिए 



लिखो लिखते रहो लिखना भावना का यजन है

मनस का संकल्प श्रुति युत भारती का भजन है 

लिखा जो कुछ गया वह इतिहास है 

आज का लेखन मधुर मधुमास है

और भावी लेख सुष्ठु प्रयास है 

लिखे कागज अमित दस्तावेज हैं

और अलिखित सभी सादे पेज हैं


वाणी की अभिव्यक्ति की तरह लेखन की अभिव्यक्ति भी अद्भुत है लिखा हुआ तत्काल काम में आता है श्रुतियां लेखन में आईं तो इनके विभिन्न स्वरूप हुए  श्रुति स्मृति बनी स्मृति उपनिषद् बने



इन्हीं उपनिषदों में एक है छान्दोग्य उपनिषद्

इसके नाम के अनुरूप ही इस उपनिषद का आधार छन्द है। छन्द साहित्यिक पद्य रचना के प्रकार तक ही सीमित न होकर  व्यापक अर्थ में प्रयुक्त हुआ है

छन्द का अर्थ है आच्छादित करने वाला


कवि जिस सत्य का साक्षात्कार करने का प्रयास करता है, उस सत्य को हृदयंगम करने के लिए   छन्द का प्रयोग करता है।

 वह सत्य या भाव जिन अक्षरों, पदों, स्वरों आदि से आच्छादित होता है, वे सब उस छन्द के अंग उपांग होते हैं।

इस उपनिषद् की भूमिका के अनुसार 

नारद जी सनत्कुमार के पास आत्मज्ञान की जिज्ञासा लेकर पहुंचे हैं

आत्मज्ञान अद्भुत है नारद जी जो जानते थे वह सब बता दिया बहुत सारी विद्याएं जानने के बाद भी नारद जी को शान्ति नहीं मिल रही थी उसी का समाधान वे चाहते थे 

सनत्कुमार ने उन्हें उदाहरण देकर समझाया



कलियुग के आधार हनुमान जी हम लोगों को प्रेरित करते रहते हैं कि हम राष्ट्र सेवा के लिए प्रयत्नशील रहें जिस तरह हेडगेवार जी दीनदयाल जी गुरुगोविन्द सिंह विवेकानन्द सुभाषचन्द्र बोस चन्द्रशेखर आजाद भगत सिंह राष्ट्र सेवा करते रहे


हाल में इस संसार का त्याग करने वाले देशभक्ति के विग्रह और कर्मठ कौशल के प्रतीक श्रद्धेय मदनदास जी भी राष्ट्र सेवा करते रहे यह तो बहुत लम्बी फेहरिस्त है


हम लोग प्रतिदिन इस बात की समीक्षा करें कि आज समाजसेवा राष्ट्रसेवा के लिए क्या किया और उसे लिख लें

राष्ट्र हमें पुकार रहा है


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया अनिल महाजन का नाम क्यों लिया एक संन्यासी का व्रण वाला क्या प्रसंग था जानने के लिए सुनें