हम चलेंगे साथ तो संत्रास हारेगा
पूर्व फिर से अरुणिमा आभास धारेगा
हम सृजन पर ही सदा विश्वास रखते थे
यजन में ही जिंदगी की आस रखते थे
भोग में अनुरक्त जीवन था नहीं अपना
जगत को हरदम समझते आए हम सपना
प्रस्तुत है सौरथ ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज अधिक श्रावण मास कृष्ण पक्ष दशमी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 10 अगस्त 2023 का सदाचार संप्रेषण
*742 वां* सार -संक्षेप
1: शूरवीर
समाज जीवन में प्रदूषण बहुत गहराई से व्याप्त है इसके कारण बहुत से हैं और हम लोग उसी प्रदूषण को समाप्त करने के प्रयास में रत होकर व्यक्ति से व्यक्तित्व के निर्माण की दिशा में बढ़ रहे हैं
यज्ञाग्नि को प्रदीप्त करते हुए साधनारत आचार्य जी नित्य इन सदाचार वेलाओं के माध्यम से हमारे सुप्त भावों को जाग्रत कर रहे हैं हमें प्रेरित उत्साहित कर रहे हैं यह हमारा सौभाग्य है गम्भीरतापूर्वक विचार कर
हम मानसिक वैचारिक शारीरिक स्वच्छता का आधार लेकर समाज को जागरूक करने का लक्ष्य बनाएं विद्वत समाज को भी जाग्रत करने की आवश्यकता है
हमारी शिक्षा कभी अत्यन्त उच्चकोटि की रही है जिसने अपनी सार्थकता भी सिद्ध की और हम उसी के बल पर विश्वगुरु कहलाए
आज की शिक्षा अपने वास्तविक स्वरूप और उद्देश्य से अत्यन्त दूर है और ये तथाकथित शिक्षित अधूरी क्षमताओं वाले व्यक्तियों की भीड़ है ।हम यज्ञमण्डप से उठकर श्मशान आ गए हैं
भोग के भ्रमजाल में संत अपना संतत्व भूल गए हैं
शिक्षा की इसी अपूर्ण अवधारणा की ओर संकेत कर राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त 'भारत भारती' में लिखते हैं
शिक्षे! तुम्हारा नाश हो, तुम नौकरी के हित बनी
चिन्तन मनन अध्ययन स्वाध्याय महत्त्वपूर्ण है आत्मावलोकन कर अपनी दिशा दृष्टि विश्वास को पूर्ण दृढ़ता से अपनी प्राणिक ऊर्जा के साथ रखने पर हम निराश नहीं होंगे भगवान् राम भगवान् कृष्ण का आदर्श लेकर हम सदाचार के मार्ग पर चलें भाव विचार और क्रिया का सामञ्जस्य बैठाएं
लेखन -योग को अपनाएं
आत्मबोध जाग्रत करें देश संकट में है इसलिए संगठन के महत्त्व को समझें शौर्य प्रमंडित अध्यात्म का आश्रय लें पश्चिम के भोगवाद बाजारवाद और एकाकीपन से दूर रहें
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने मुरादाबाद के दंगों के विषय में क्या बताया पश्चिम से हमें क्या से सीखना चाहिए आदि जानने के लिए सुनें