9.8.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज अधिक श्रावण मास कृष्ण पक्ष नवमी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 9 अगस्त 2023 का सदाचार संप्रेषण *741 वां*

 समय और हम इसके साथ सामञ्जस्य बैठाने के लिए यदि हमारा आत्मबोध खो गया तो हम उसी तरह बह जाएंगे जैसे  उखड़ी हुई घास.......

हमें अपना आत्मबोध नहीं खोना है इसी आत्मबोध को जाग्रत करने के लिए आइये प्रवेश करते हैं इस सदाचार वेला में


प्रस्तुत है होमिन् ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज अधिक श्रावण मास कृष्ण पक्ष नवमी विक्रम संवत् 2080  तदनुसार 9 अगस्त 2023 का  सदाचार संप्रेषण 

  *741 वां* सार -संक्षेप


 1: यज्ञकर्ता



यह अद्भुत संसार है इस संसार में असार तत्त्व को सहयोगी बनाकर सार का अनुसंधान इस मनुष्य जीवन का अद्भुत स्वभाव है जिनमें यह भाव उनके विचार और कर्म में परिलक्षित होने लगता है वे इस मनुष्य जीवन को सार्थक सिद्ध करने लगते हैं और उन्हें आनन्द का अनुभव होने लगता है


*यह जीवन सुख दुःख लाभ हानि उत्थान पतन वैभव अभाव*

.......

*मानव जीवन सचमुच में अद्भुत अनुपम और विलक्षण है*


सहजं कर्म कौन्तेय सदोषमपि न त्यजेत्।


सर्वारम्भा हि दोषेण धूमेनाग्निरिवावृताः।।18.48


यह जानते हुए भी कि सहज कर्म दोषयुक्त है तो भी उसे त्यागना नहीं चाहिए

*हमें प्रत्येक क्षण संयमित जाग्रत चुस्त रहना है*,

*शिकायत और कुंठा की न कोई बात कहना है ,*

*सभी हम देश धर्म समाज सेवा व्रती हैं प्यारे ,*

*गृहस्थी के सहित हमको तपस्वी भाव गहना है ।*


हमें देश की सेवा अपने मूल सनातनी समाज की सेवा अपने धर्म



श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।


स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः।।3.35।।


कोटि कोटि कंठ से हिन्दु धर्म गर्जना

नित्य सिद्ध शक्ति से मातृभू की अर्चना

संघ शक्ति कलियुगे सुधा है धर्म के लिये l



की सेवा करते समय भ्रम दुविधा को दरकिनार करते हुए  उनमें रत होना है

हाल में नूंह की घटना में हमें अपनी भूमिका स्पष्ट होनी चाहिए हम हिन्दू समाज को मनोबल प्रदान करें और आर्थिक सहायता भी प्रदान करें


जो मैं हूं वही आप हैं यह अनुभव अद्भुत है यदि मैं सोचूं कि मैं कोई और हूं और आप कोई और

तो यह विग्रह / वैमनस्य का कारण बन जाता है 

हमें तो आत्मविस्तार का आनन्द लेना है

हम स्वदेश स्वभाव स्वकर्म का समायोजन कर आनन्दित रहने का अपना लक्ष्य बनाएं


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने श्री संतोष जी (चित्रकूट ), श्री प्रकाश जी का नाम क्यों लिया

आदि जानने के लिए सुनें