ॐ
(सृष्टि का आदि स्वर )
किसी भी तात्विक विषय के प्रारम्भ में ॐ का उच्चारण महत्त्वपूर्ण है
प्रस्तुत है अध्यात्म -शेवधि ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज अधिक श्रावण मास कृष्ण पक्ष एकादशी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 11 अगस्त 2023 का सदाचार संप्रेषण
*743 वां* सार -संक्षेप
1: शेवधिः =मूल्यवान् कोष
विद्या ज्ञान का आधार है और शिक्षा उस विद्या को प्राप्त करने का सलीका है
शिक्षा देते समय शिक्षक को सदैव सचेत रहने की आवश्यकता है एक शिक्षक के रूप में आचार्य जी नित्य हमें सचेत रहते हुए शिक्षा दे रहे हैं यह हमारा सौभाग्य है
किसी भी तरह की चिन्ता से ग्रसित होकर हमें भावी कार्यों को बाधित नहीं करना चाहिए
परिस्थितियां विषम हैं हम सनातन धर्म के रक्षकों के पास काम बहुत हैं अपने प्रमाद का त्याग करें
अपने मानस चैतन्य को सत्कर्मों में रत करें शक्ति चैतन्य आदि की सहायता से राष्ट्र और समाज के लिए हम शक्ति स्वरूप बनकर खड़े हों क्योंकि यह राष्ट्र ही संपूर्ण विश्वप्रपंच का आधार है
सनातन कार्य सिद्धि में गुरु और शिष्य यदि अपने अंतस में निम्नांकित मन्त्र उतार लें तो कोई एक दूसरे से ईर्ष्या नहीं करेगा और मिलजुल कर सहयोग मिलेगा
ॐ सह नाववतु।
सह नौ भुनक्तु।
सह वीर्यं करवावहै।
तेजस्वि नावधीतमस्तु
मा विद्विषावहै।
ॐ शान्तिः! शान्तिः!! शान्तिः!!!
हे परमेश्वर! आप हम दोनों शिक्षक और शिक्षार्थी की साथ-साथ रक्षा करें। हम दोनों एक दूसरे का पालन पोषण करें। शिक्षार्थी के आचरण कार्यव्यवहार आदि से शिक्षक को पोषण मिलता है वह आनन्दित होता है हम दोनों ही साथ-साथ उस महान ऊर्जा शक्ति सामर्थ्य को प्राप्त करें। हम दोनों की अध्ययन की हुई विद्या तेज से भरी हुई हो। हम दोनों कभी परस्पर द्वेषभावना से ग्रसित न हों
हमारे अन्दर विकृति न आये
प्रमुख रूप से शिक्षा के स्वरूप का वर्णन करने वाले तैत्तिरीय उपनिषद् में
शिक्षक और शिक्षार्थी उस विषय को समझने के लिए उद्यत हो रहे हैं
आज की शिक्षा इससे भिन्न है
इससे कभी आनन्द की अनुभूति नहीं होगी
इसी उपनिषद् में ऋषि आगे कहता है
ब्रह्मविद् आप्नोति परं...
सत्यं ज्ञानम् अनंतं ब्रह्म
ब्रह्मज्ञानी महात्मा परब्रह्म को प्राप्त हो जाता है
सत्य और सत्य का ज्ञान अनन्त ब्रह्म है
आचार्य जी ने शिक्षा का मूल आधार क्या बताया सातवें आसमान की चर्चा आचार्य जी ने क्यों की आदि जानने के लिए सुनें