ध्रु॒वा द्यौर्ध्रु॒वा पृ॑थि॒वी ध्रु॒वास॒: पर्व॑ता इ॒मे । ध्रु॒वं विश्व॑मि॒दं जग॑द्ध्रु॒वो राजा॑ वि॒शाम॒यम् ॥
सारी वस्तुओं का आधार जगत् नियम में ध्रुव है, नक्षत्र एवं ग्रहमण्डल का आधार द्युलोक ध्रुव है, मनुष्य पशु पक्षी वृक्ष आदि का आधार पृथ्वी ध्रुव है, इसी तरह प्रजा के आधार राजा को भी ध्रुव नियम में रहना चाहिए
प्रस्तुत है आचार्यतल्लज ¹ श्री ओम शङ्कर जी का आज अधिक श्रावण मास कृष्ण पक्ष अमावस्या विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 16 अगस्त 2023 का सदाचार संप्रेषण
*748 वां* सार -संक्षेप
1: श्रेष्ठ आचार्य
तेजस्वी स्वरूप वाले भगवान हनुमान जी के वरदहस्त से इन सदाचार वेलाओं के माध्यम से हम आचार्य जी, जिन्हें बहुत से महामनीषियों का सान्निध्य प्राप्त हुआ,जो सात्त्विक कर्म में रत हैं,द्वारा उद्भूत सदाचारमय विचारों को ग्रहण कर अपने मानसिक जीवन का परिमार्जन करने के लिए व्यग्र रहते हैं
व्यग्रता होनी भी चाहिए क्योंकि हमारे मार्गदर्शन के लिए इससे अच्छा साधन और कोई नहीं दिखता
संसार के रहस्यों को समझते हुए उलझनों को दूर करते हुए हमें रास्ता मिलता जायेगा राह में हमें बैठना नहीं है राह अनन्त है रामकाज करने की आतुरता हमें होनी चाहिए राग द्वेष से दूरी बनाए रहें उपेक्षित लोगों की ओर अवश्य ध्यान दें
हम सब उस महासिन्धु के बिन्दु हैं जिसमें सब कुछ समाया हुआ है और सब कुछ उसी से उद्भूत होता है यह भारत का चिन्तन है
हमें अपने को भाग्यशाली समझना चाहिए कि हम भारत में जन्मे हैं हमें मानवत्व की अनुभूति होनी चाहिए यह मानवत्व देवत्व के माध्यम से परमात्मतत्त्व तक पहुंचता है
हम यदि मन बुद्धि विचार चैतन्य शरीर प्राणतत्व का सदुपयोग करते हैं तो
मुक्तसङ्गोऽनहंवादी धृत्युत्साहसमन्वितः।
सिद्ध्यसिद्ध्योर्निर्विकारः कर्ता सात्त्विक उच्यते।।18.26।।
हमें सात्त्विक कर्म करने चाहिए
गीता में ही
नियतं सङ्गरहितमरागद्वेषतः कृतम्।
अफलप्रेप्सुना कर्म यत्तत्सात्त्विकमुच्यते।।18.23।।
जो नियत और संगरहित कर्म फल की चाह न रखने वाले पुरुष के द्वारा बिना किसी राग द्वेष के किया गया है, ऐसा कर्म सात्त्विक है l
जब कि
यत्तु कामेप्सुना कर्म साहङ्कारेण वा पुनः।
क्रियते बहुलायासं तद्राजसमुदाहृतम्।।18.24।।
जो कर्म बहुत मेहनत वाला है और फल की चाह रखने वाले अहंकारी पुरुष के द्वारा किया जाता है, ऐसा कर्म राजस है
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने नाना जी देशमुख, अटल जी,गोविन्दाचार्य जी, श्रद्धेय अशोक जी, दीनदयाल जी, बैरिस्टर साहब, भैया मनीष कृष्णा का नाम क्यों लिया
उन्नाव विद्यालय में कल सम्पन्न हुए कार्यक्रम के विषय में उन्होंने क्या बताया
किसने चाहा मेरे बच्चों के पास चार भले आदमी बैठें
आदि जानने के लिए सुनें