नाम कामतरु काल कराला। सुमिरत समन सकल जग जाला॥
राम नाम कलि अभिमत दाता। हित परलोक लोक पितु माता॥
प्रस्तुत है वैदुष्य -प्रकाश ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण मास शुक्ल पक्ष षष्ठी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 22 अगस्त 2023 का सदाचार संप्रेषण
*754 वां* सार -संक्षेप
1: वैदुष्यम् =ज्ञान
आइये प्रवेश करें इस सदाचार वेला में जो हमारी
आत्मोन्नाति आत्मशक्ति आत्मभक्ति आत्मविश्वास का उपाय है
यहां हम कौन हैं मनुष्य के रूप में जन्म लिया है तो हमारा मानवधर्म क्या है आदि प्रश्नों का उत्तर मिलता है
इस वेला से हमारी छिपी हुई शक्तियां जाग्रत होती हैं
शरीर हमारा निकटतम साथी है हमें इस साधन की सेवा करनी चाहिए इसे बोझ नहीं समझना चाहिए यदि यह बोझ लगता है तो इस पर चिन्तन की आवश्यकता है सद्संगति से हमें यह बोझ नहीं लगेगा और यदि सद्संगति भी न मिले तो केवल राम नाम का जप करें
कलियुग का शरीर बहुत लम्बी आयु का नहीं होता हम इस कलियुगी शरीर में बहुत कठिन साधनाओं का समावेश नहीं कर सकते
किसी भी विकार के आने पर रामनाम का जप करें इसके जाप के साथ पुरुषार्थ पराक्रम संयम के उदाहरण भगवान राम का जीवन भी हमारे अन्दर प्रवेश करने लगेगा जिसकी आज के संकटकालीन समय में बहुत आवश्यकता है हमारे अन्दर शक्ति सामर्थ्य का प्रवेश होगा और हम
निसिचर हीन करउँ महि भुज उठाइ पन कीन्ह।
जैसा प्रण कर पाएंगे
हम आनन्दमय जीवन बिता पाएंगे यही मोक्ष की अवस्था भी है मोक्ष का अर्थ शरीर त्याग नहीं है
हमारी मानसिकता परिशुद्ध होने पर कृत्य भी सात्विक होंगे
राम नाम का अभिमन्त्रण, मन्त्र,अनुमन्त्रण, यन्त्र,तन्त्र
हमारे भीतर चलता रहे तो यह हमारा कल्याण करेगा
नामु राम को कलपतरु कलि कल्यान निवासु।
जो सुमिरत भयो भाँग तें तुलसी तुलसीदासु॥ 26॥
कलियुग ( कलि केवल मल मूल मलीना। पाप पयोनिधि जन मन मीना ) में राम का नाम( सकल सुकृत फल राम सनेहू ) कल्पवृक्ष और कल्याण का निवास है, जिसको याद करने से निकृष्ट तुलसीदास तुलसी के समान पवित्र हो गया
भगवान् राम के नाम की तरह हमारा राष्ट्र भी पुरुषार्थ पराक्रम संयम का उदाहरण है हम तो राष्ट्र के नाम का भी जप कर सकते हैं और करना भी चाहिए
वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः
इसके अतिरिक्त चोर अपना अनुभव कहां बताते थे बैदक का बस्ता किसके पास था चोरी का इल्जाम किस पर लगा आदि जानने के लिए सुनें