24.8.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का श्रावण मास शुक्ल पक्ष अष्टमी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 24 अगस्त 2023 का सदाचार संप्रेषण *756 वां* l

 ये चन्दा रूस का ना ये जापान का

ना ये अमरीकन प्यारे ये तो है हिन्दुस्तान का

(इन्सान जाग उठा )


23 अगस्त, 2023 एक ऐतिहासिक दिन बना जब परमात्मा की एक अत्यन्त प्रिय कृति हिन्दुस्तान  चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला पहला देश बना

और इस देश का बच्चा बच्चा पुलकित हो उठा

आनन्द के इन क्षणों की अनुभूति करते हुए आइये जिज्ञासु बनकर प्रवेश कर जाएं आज की सदाचारवेला में 


प्रस्तुत है पुरुषचन्द्र ¹  आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  श्रावण मास शुक्ल पक्ष अष्टमी विक्रम संवत् 2080  तदनुसार 24 अगस्त 2023 का  सदाचार संप्रेषण 

  *756 वां* सार -संक्षेप


 1: पुरुषों में चन्द्रमा अर्थात् एक श्रेष्ठ व्यक्ति



ऐ चांद तू न उतरा आंगन हमारे 

ले तेरे आंगन में हम आ गए।

ऐसा सजाया  तिरंगे से हमने

कि सारे ज़माने पे हम छा गए।।



चन्द्रमा से संबन्धित इस आनन्दित करने वाले समाचार से हम सभी राष्ट्रभक्तों का मन अत्यन्त भावुक और शरीर रोमांचित हो गया इसी भावुकता को उजागर करते हुए आचार्य जी लिखते हैं


मन भावुक तन पुलकायमान जाग्रत विवेक आनन्दित है 

तन मन जीवन चैतन्य युक्त विक्रम प्रज्ञान प्रमंडित है 

हम सतत प्रयास परिश्रम हैं परमेश्वर के विश्वासी हैं

बदरी केदार द्वारका मथुरा हम रामेश्वर काशी हैं.....


मिशन चंद्रयान-3 से जुड़े इसरो के सभी वैज्ञानिक  बधाई के पात्र हैं

इसी टीम का हिस्सा रहे अपने विद्यालय पं दीनदयाल उपाध्याय सनातन धर्म विद्यालय के भैया गुलशन गुप्त जी

 २०१० बैच , आजाद नगर कानपुर निवासी  और इसरो अहमदाबाद (अंतरिक्ष उपयोग केंद्र) में वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत 

भी  बधाई के पात्र हैं


हम मनुष्यों में जो जिज्ञासा रहती है उसी का परिणाम है कि हमारा यान चन्द्रमा के तल पर पहुंचा यदि हम इसके  भौतिक पक्ष को न देखें और आध्यात्मिक पक्ष को देखें तो




मैया, मैं तो चंद-खिलौना लैहौं। 


जैहौं लोटि धरनि पर अबहीं, तेरी गोद न ऐहौं॥ 


सुरी कौ पय पान न करिहौं, बेनी सिर न गुहैहौं। 


ह्वैहौं पूत नंद बाबा कौ, तेरौ सुत न कहैहौं॥ 


आगैं आउ, बात सुनि मेरी, बलदेवहि न जनैहौं। 


हँसि समुझावति, कहति जसोमति, नई दुलहिया दैहौं॥ 


तेरी सौं, मेरी सुनि मैया, अबहिं बियाहन जैहौं। 


सूरदास ह्वै कुटिल बराती, गीत सुमंगल गैहौं॥



ये चन्द-खिलौना चन्दा मामा सूर्य देवता हमसे कब संयुत हुए इसका सतत चिन्तन आवश्यक है पूरे अंतरिक्ष पूरे ब्रह्माण्ड का भाव हमारे साहित्य में है


ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ॐ अद्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे------- जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे ---------(अपने नगर/गांव का नाम लें) पुण्य क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते :... तमेऽब्दे .. नाम संवत्सरे...... महामंगल्यप्रदे मासानां .... तिथौ... वासरे (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया....



यज्ञों की प्रधानता के कारण भारत  को कर्मभूमि तथा  अन्य द्वीपों को भोग- भूमि कहा गया है

गायत्री मन्त्र अद्भुत है सविता हमारी प्राणिक ऊर्जा है

हम किसी ग्रह को जीतने के लिए नहीं जाते उनकी स्थिति आदि की जानकारी लेते हैं

भारत अद्भुत है इसकी भारतीयता हमें समझनी चाहिए

सफलता आनन्द -सिन्धु का प्रसाद है हमें आत्मोन्नति की भाषा बोलनी चाहिए शक्ति के साथ संयम का सामञ्जस्य रखें अध्यात्म के साथ पौरुष शौर्य पराक्रम आदि का संयोजन करें और  सत्कर्म के लिए उद्यत हों

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया मुकेश जी भैया मोहन जी भैया मनीष जी का नाम क्यों लिया जानने के लिए सुनें