26.8.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का श्रावण मास शुक्ल पक्ष दशमी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 26 अगस्त 2023 का सदाचार संप्रेषण *758 वां*

 स्वदेश के सपूत उठ परीक्षा कड़ी हुई

विभिन्न रूप धार शत्रुसैन्य उठ खड़ी हुई, 

प्रशस्त पंथ कर उखाड़ कील सब गड़ी हुई 

कवच कुठार धार वीर युद्ध की घड़ी हुई।



प्रस्तुत है गुणगृध्नु ¹  आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  श्रावण मास शुक्ल पक्ष दशमी विक्रम संवत् 2080  तदनुसार 26 अगस्त 2023 का  सदाचार संप्रेषण 

  *758 वां* सार -संक्षेप


 1: अच्छे गुणों का इच्छुक




ये नित्य की सदाचार वेलाएं हमें मनुष्यत्व की अनुभूति कराते हुए समाजोन्मुखी राष्ट्रोन्मुखी बनाती हैं हमारे विचारों को परिमार्जित करती हैं उन्हें एक सुस्पष्ट दिशा देती हैं जिससे हम भयमुक्त भ्रममुक्त लोभमुक्त द्वेषमुक्त होकर सांसारिक प्रपंचों के बीच में अपने जीवन को उन्नत बनाने में सक्षम हो जाते हैं  यह समय शान्ति प्रसन्नता सत्चिन्तन तार्किकता का है

स्वयं आनन्दमय जीवन की अनुभूति करते हुए भावी पीढ़ी को भी आनन्दमयी जीवन जीने की प्रेरणा देने वाली भावना रखते हुए 

आइये सद्गुणों को आत्मसात् करने की अभिलाषा के साथ प्रवेश कर जाएं आज की इस सदाचार वेला में


एक सद्गुण यह भी है कि हम अपनी स्मृतियों को जाग्रत रखें ताकि किसी भी विषय को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने में हमें कठिनाई न हो


किसी भी समाज हित राष्ट्र हित के कार्य को करते समय अपने अंदर दम्भ न लाएं क्योंकि दम्भ पतन का कारण बनता है देशसेवा और समाजसेवा के अवसर बार बार तलाशें 


समस्याओं को झेलते समय हमारा राष्ट्र बार बार मुस्कराया है हमें ऐसे अपने राष्ट्र पर गर्व है इस राष्ट्र ने अपने सपूतों को बार बार चेताया है कि कार्य करते जाएं लेकिन दम्भ कभी न करें


जड़ चेतन गुन दोषमय बिस्व कीन्ह करतार।

संत हंस गुन गहहिं पय परिहरि बारि बिकार॥6॥


ब्रह्मा ने इस जड़ चेतन विश्व को गुणमय दोषमय रचा है, किन्तु साधु रूपी हंस दोष रूपी जल को त्यागते हुए गुण रूपी दूध को ही ग्रहण करते हैं

गुण के साथ दोष हैं इसमें आश्चर्य कुछ भी नहीं

नाट्य में नायक के साथ खलनायक का भी अस्तित्व है

इस भाव से चिन्तन करने में हमें उलझनें नहीं होती

हमारे राष्ट्र के शत्रुओं धर्म के शत्रुओं का अस्तित्व हमें शौर्य प्रमंडित अध्यात्म  रामत्व की अनिवार्यता बताते हुए हमें उनसे सामना करने के लिए और अधिक सशक्त बनाता है

सचेत रहना जाग्रत रहना आवश्यक है  क्योंकि संकट का समय है

कृण्वन्तो विश्वम् आर्यम्

संगठन महत्त्वपूर्ण है संगठन के किसी भी सदस्य में आये विकार को दूर करने का प्रयास  भी करना चाहिए

आचार्य जी ने परामर्श दिया कि उन्नाव विद्यालय के माध्यम से युगभारती कुछ प्रयोग करे 

साथ ही हम दिन भर के कार्यों की रात्रि में समीक्षा करें

इसके अतिरिक्त आचार्य जी आज किस कार्यक्रम में आ रहे हैं स्वामी विवेकानन्द का कौन सा प्रसंग आचार्य जी ने बताया उन्नाव विद्यालय का वार्षिकोत्सव कब है आदि जानने के लिए सुने