उठो जागो विनिद्रित भाव को त्यागो
विधाता से विवेकी शौर्यमय उत्साह शुभ माँगो,
न झिझको एक पल भी गीदड़ों के शोर संभ्रम से,
बढ़ो पुरुषार्थ से पूरित कहो "साथी उठो जागो" ।।
✍️ओम शंकर 16-09-2022
प्रस्तुत है विचारशील ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज श्रावण मास शुक्ल पक्ष द्वादशी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 28 अगस्त 2023 का सदाचार संप्रेषण
*760 वां* सार -संक्षेप
1: सचेत
बहुत से विषयों को अपने में समेटे इन सदाचार संप्रेषणों के सदाचारमय विचारों से हम लाभान्वित हो रहे हैं और अपने जीवन को उन्नत बनाने का प्रयास कर रहे हैं जिज्ञासु और जिज्ञासा -शमनकर्ता की दोहरी भूमिका निभाते हुए आचार्य जी नित्य अपना बहुमूल्य समय देकर हमारा मार्गदर्शन कर रहे हैं यह हमारा सौभाग्य है
राष्ट्राभिमुख सदस्यों वाले अपने कुटुम्ब के विस्तार से हम सबको आनन्द की अनुभूति हो रही है
अपनेपन का यह विस्तार अद्भुत है हम सौभाग्यशाली हैं कि हमने इसी अपनेपन को संपूर्ण विश्व को सिखाने का प्रयास करने वाले भारत देश में जन्म लिया है यह अपनापन ही तो संपूर्ण वसुधा को अपना कुटुम्ब मानता है
इस अपनेपन को आत्मसात् करने वाले विकट से विकट समस्याओं के आने पर भयभीत नहीं होते और लगातार अपने लक्ष्य की ओर लगे रहते हैं
संसार समुद्री भंवरों में डूबता और उतराता हूं
इन अद्भुत धार भंवर लहरों से लड़ता औऱ पचाता हूं
क्या अद्भुत तेरी लीला है
क्षण भर भी जब कुछ जान सका
उस क्षण भर हंसकर बाकी हरदम रोता और रुलाता हूं
हम परमात्मा के ही अंश हैं और जब उसके अंश हैं तो हम निराश कैसे रह सकते हैं
परमात्म -चिन्तन ही हमें निराश होने से बचाता है और आनन्द की अनुभूति कराता है हमें अध्यात्म -चिन्तन के ऐसे ही क्षणों को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए और विधाता से याचना करनी चाहिए कि वह हमें विवेकी उत्साहित सचेत शौर्ययुक्त शक्तिसम्पन्न बनाए ताकि संकट के इस काल में गीदड़ों के शोर संभ्रम से हम एक पल भी झिझक न सकें लक्ष्य -पथ से डिग न सकें और हमारा लक्ष्य है अखंड भारत
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया संपूर्ण सिंह और भैया अजय (कायमगंज वाले ) का नाम क्यों लिया जानने के लिए सुनें