3.8.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का अधिक श्रावण मास कृष्ण पक्ष द्वितीया विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 3 अगस्त 2023 का सदाचार संप्रेषण 735 वां सार -संक्षेप

 अखण्ड हिन्दुराष्ट्र का हृदय हृदय में वास हो ,

उपासना गृहों में शौर्य शक्ति का निवास हो ,

"भविष्य" में न स्वार्थ भीरुभावना प्रविष्ट हो ,

हृदय में वीरता रहे स्वभाव किंतु शिष्ट हो।


प्रस्तुत है अध्यात्म -संसृति ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज अधिक श्रावण मास कृष्ण पक्ष द्वितीया विक्रम संवत् 2080  तदनुसार 3 अगस्त 2023 का  सदाचार संप्रेषण 

  735 वां सार -संक्षेप


 1: संसृतिः =धारा


हमारे विचार शरीर के अस्वस्थ होने पर और मन के उद्विग्न होने पर प्रभावित होते ही हैं उस समय हमें तात्विक चिन्तन (जितना भी हम जानते हैं )का मन में प्रवेश करा लेना चाहिए क्योंकि संसार ( संसरति इति संसारः ) में हमें समस्याओं का सामना भी करना ही होता है  और उन समस्याओं का हल उस तात्विक चिन्तन में निश्चित रूप से है मै कौन हूं यह चिन्तन करें 

हम मनुष्य हैं और हम लोगों के पास ही इन समस्याओं का समाधान भी है अन्य जीव जगत के पास इनका समाधान नहीं है



गीता में


मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना।


मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेष्ववस्थितः।।9.4।।


यह सम्पूर्ण जगत् मुझ नियन्त्रक परमात्मा के अव्यक्त स्वरूप से व्याप्त है

 समस्त प्राणी मुझ में स्थित है लेकिन मैं उनमें स्थित नहीं हूं

परमात्मा की शक्तियां सर्वत्र उपस्थित हैं वह सर्वत्र उपस्थित नहीं रहता है तब भी


हमें इसकी अनुभूति करनी चाहिए और यह हम अत्यन्त क्षमतासम्पन्न संकल्पशील लोग प्रेम के रस से परिपूर्ण भक्ति द्वारा इसे पा सकते हैं ब्रह्मसंहिता का एक अत्यन्त मोहक छंद है 

 5.38

  जिसका अर्थ



मैं गोविंदा, आदि भगवान की पूजा करता हूं, जो श्यामसुंदर हैं और स्वयं कल्पना से परे अनगिनत गुणों वाले कृष्ण हैं, जिन्हें विशद भक्त अपने हृदय में प्रेम के रस से रंगी हुई भक्ति के नयनों से देखते हैं


,है

भोजप्रबन्ध के एक चर्चित छन्द का उल्लेख करते हुए आचार्य जी बता रहे हैं

कि विषम परिस्थितियों में भी सूर्य अपना प्रभाव डाल देता है (व्यक्ति का व्यक्तित्व भी इसी तरह का प्रभाव डालता है )

  सूर्य भगवान के सारथी हैं अरुण  (प्रजापति कश्यप और विनता के पुत्र)

 ये गरुड़ के बड़े भाई हैं जो पक्षियों के राजा हैं। रामायण में  सम्पाती और जटायुं इन्हीं के पुत्र थे।



हमारे साहित्य में कथाओं का संसार अद्भुत है और यह सारे संसार को एक सूत्र में बांध देता है

यह हमारा दुर्भाग्य रहा कि हमारी शिक्षा में इनको स्थान नहीं दिया गया

लेकिन अब इसे बदलने का समय है हम अपने बच्चों को भी इस तरह की शिक्षा दें


किशोर अवस्था में तो और ध्यान दें


हम सनातन धर्म के रक्षक इस ओर ध्यान दें


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने राजनीति का कौन सा विषय आज उठाया

आज आचार्य जी कहां आये हैं जानने के लिए सुनें