31.8.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का श्रावण मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 31 अगस्त 2023 का सदाचार संप्रेषण *763 वां*

 हमें परमात्म सत्ता पर अगर विश्वास दृढ़ होता,

सहज अध्यात्म का स्वर ही हमारी श्वास में होता,

धरा अपनी मलावृत कभी किंचित हो न सकती थी,

अनंतानंददायी सौम्य शुचि मंगल सदा होता ।।


प्रस्तुत है  शुचिव्रत ¹  आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  श्रावण मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा विक्रम संवत् 2080  तदनुसार 31 अगस्त 2023 का  सदाचार संप्रेषण 

  *763 वां* सार -संक्षेप


 1:  सद्गुणी




एक लम्बी ऋषि परम्परा वाला अत्यन्त अद्भुत भारतीय जीवन दर्शन, जिसे  अस्ताचल देशों को देखकर भ्रमित हो जाने पर हम लोगों ने अनदेखा कर दिया,मानता है कि परमात्मा आदि और अन्त से रहित है  न इसका अन्त है न ही इसके आदि की सुस्पष्ट कल्पना करना संभव है

धन्य-धन्य मेरी लघुता को, जिसने तुम्हें महान बनाया,

धन्य तुम्हारी स्नेह-कृपणता, जिसने मुझे उदार बनाया,

मेरी अन्धभक्ति को केवल इतना मन्द प्रकाश बहुत है

जाने क्यों तुमसे मिलने की आशा कम, विश्वास बहुत है।

-बलबीर 'रंग '

प्रायः हम कहते हुए सुनते हैं कि वेद सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं 

वेद अर्थात् ज्ञान

वेद अपौरुषेय हैं

हम पुरुषों के द्वारा उनकी रचना नहीं हुई है

परमात्मा से इस ज्ञान को ऋषियों ने प्राप्त किया ऋषियों के विषय में कहा जाता है 

ऋषयो मन्त्र द्रष्टारः न तु कर्तारः!! अर्थात् अनुसंधानकर्ता ऋषियों ने भावजगत में उत्पन्न हुए मंत्रों का दर्शन किया है न कि इनकी रचना की है

निर्विकल्प समाधि में लीन परमात्मा जब विकारी हुआ

अर्थात् उसने इच्छा प्रकट की

एकोऽहं बहुस्याम

तो उसने यह सृष्टि रच दी 

बहुत होने की कल्पना ही कवि को कविता के लिए लेखक को लेखन के लिए कलाकार को कलाकृति बनाने के लिए प्रेरित करता है 

ॐ परमात्मा  के मुख से निकलने वाला पहला शब्द है

विवेकानन्द के अनुसार वेद का अर्थ है विभिन्न आध्यात्मिक सत्यों का संचय


मूल रूप से  हम का आत्म्साक्षात्कार अध्यात्म एक है लेकिन उसके स्वरूप भिन्न भिन्न हैं यह अध्यात्म हमारे भीतर प्रविष्ट है जब हम उसे विस्मृत कर केवल इन्द्रियों को केन्द्र में रखकर जीवन यापन करते हैं तो हम संसारी जीव हो जाते हैं यही सांसारिकता हमें कभी कष्ट देती है कभी सुखी करती है

इसलिए आचार्य जी परामर्श दे रहे हैं कि हम अध्यात्म का आश्रय लेकर अपने जीवन को उन्नत समृद्ध बनाएं अध्यात्म के महत्त्व को समझने के लिए हमें अपने अद्भुत ग्रंथों का आश्रय लेना होगा


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया संदीप शुक्ल का नाम क्यों लिया मां मुझे क्षमा करो किसने कहा आदि जानने के लिए सुनें