लड़े हरदम विजयश्री प्राप्त करके ही लिया है दम,
हमारा शौर्यमय अध्यात्म ही हरदम रहा हमदम,
अतीत अपना अभी भी शान से लहरा रहा नभ में,
कभी भी और अब भी हैं न हम जग में किसी से कम।
प्रस्तुत है कुलाभिमान ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष तृतीया विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 18 सितम्बर 2023 का सदाचार संप्रेषण
*781 वां* सार -संक्षेप
1 कुल का गौरव
स्थान :उन्नाव
हम संसारी पुरुष प्रायः संसार के स्तर पर विचार चिन्तन मनन कर उसी से मार्ग निकालकर अपने जीवन को उन्नत बनाने का प्रयास करते हैं यही सदाचार है
हमें जब भी सदाचारमय विचारों को ग्रहण करने का अवसर मिले उन्हें अवश्य ग्रहण करें उन्हें ग्रहण न करने की चूक हमारे लिए हानिकारक है
आइये बिना विलम्ब किए इस वेला में प्रवेश कर जाएं क्यों कि यह वेला भी सदाचारमय विचारों को प्रदान करने वाला ऐसा ही एक अवसर है
भारतीय जीवन दर्शन यही सिखाता है कि ऐसे अवसर चूकें नहीं
भारत की धरती अद्भुत है
यहां भगवान राम भगवान श्रीकृष्ण जैसे अवतार शौर्य शक्ति संयम स्वाध्याय आत्मबोध का उपाय हैं प्रेरण हैं
परस्पर का संवाद और परस्पर के कार्य व्यवहारों में आनन्द की अनुभूति भारतवर्ष का सनातन मन्त्र है
हम अणुआत्मा होते हुए विभु आत्मा का चिन्तन करने वाले भारतीय जीवन दर्शन को आत्मसात् करने वाले ऐसे राष्ट्र भक्त हैं जिन्होंने अपने मान को सदैव सुरक्षित रखने का प्रयास किया है और सुरक्षित रखा भी है
हम भारत के मात्र निवासी नहीं है हम भारतवर्ष को केवल भूमि का टुकड़ा नहीं मानते हम कुलाभिमान हैं हम कुलाङ्गार नहीं जो उसी कुल में रहते हुए उसी को नष्ट करने का प्रयास करते रहें
लेकिन ऐसे कुलाङ्गारों का बोझ भी यह अद्भुत धरती सहन कर लेती है इसकी प्राणशक्ति अद्भुत अनोखी है
इसी प्राणशक्ति की अनुभूति करने वाले हम लोग भी कम अद्भुत नहीं
हम कभी रुकेंगे नहीं कभी झुकेंगे नहीं आत्मबोध को भी नष्ट नहीं होने देंगे
जो यह जानते हों कि मरना तो वस्त्र बदलना है कैसे मान लेंगे कि वे नष्ट भी हो सकते हैं
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय
नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णा-
न्यन्यानि संयाति नवानि देही।।2.22।।
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने आगामी वार्षिक अधिवेशन के बारे में क्या बताया भैया विभास जी भैया प्रदीप जी भैया पङ्कज जी की चर्चा क्यों की जानने के लिए सुनें