प्रस्तुत है अनन्यसाधारण ¹ आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष नवमी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 24 सितम्बर 2023 का सदाचार संप्रेषण
*787 वां* सार -संक्षेप
1 = असाधारण
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येषां न विद्या न तपो न दानं,
ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः।
ते मर्त्यलोके भुविभारभूता,
मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति॥
भारतीय जीवन दर्शन कहता है कि हम परमात्मा के अंश हैं परमात्मा की इच्छा से हमारा अवतरण उसी के द्वारा निर्मित इस संसार में हुआ है उसके सबसे महत्त्वपूर्ण अंश अर्थात् मनुष्य के रूप में जन्म लेने के कारण उसके प्रतिनिधि हैं और जब हम उसके प्रतिनिधि हैं तो अपने शरीर मन बुद्धि चिन्तन मनन अध्ययन स्वाध्याय व्यवहार आचरण आदि पर गहनता से विचार करते हुए हमारा कर्तव्य हो जाता है कि हम संसार में अच्छे का विकास करें और बुरे का शमन करें
हमारा मनुष्यत्व सतत जाग्रत रहे इसका ध्यान रखें आसपास का वातावरण परिपोषित करें प्रतिदिन शयन से पूर्व अपने क्रिया व्यापारों की सहज समीक्षा और अगले दिन की व्यवस्थित योजना बनाएं
यही संसार में सफलता का राज है सफल वह व्यक्ति है जो चर्चित हैं जो एक उदाहरण हैं
आचार्य जी ने यह भी स्पष्ट किया कि तिरस्कृत कौन होता है और कौन पुरस्कृत होता है
विकास की अंधी दौड़ में भ्रम का बोलबाला भी बहुत रहता है
हम आत्मानुभूति करते हुए अपने शरीर का भी ध्यान रखें ताकि वह हमारा अच्छी तरह से सहयोग करता रहे
आचार्य जी ने परामर्श दिया कि हम युगभारती के सदस्य आत्मचिन्तन आत्ममन्थन अवश्य करें और यह ध्यान रखें कि हमारा लक्ष्य एक है
वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्।।३।।
आज युगभारती का वार्षिक अधिवेशन है
संगच्छध्वं संवदध्वं सं वो मनांसि जानताम्।
देवा भागं यथा पूर्वे सञ्जानाना उपासते।।
कोई भी कार्यक्रम अपनी जीवनचर्या को उत्साहित करने के लिए होता है
यह कार्यक्रम भी ऐसा ही है
आप सभी सम्मानित सदस्यों की गरिमामयी उपस्थिति से हमारी संस्था को सेवा, समर्पण आदि के संकल्पों को पूर्ण करने का संबल मिलेगा
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने कौन सी कथा बताई कि धृतराष्ट्र के पुण्य कैसे क्षीण हुए जानने के लिए सुनें