29.9.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 29 सितम्बर 2023 का सदाचार संप्रेषण *792 वां*

 प्रस्तुत है प्रथित ¹  आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा विक्रम संवत् 2080  तदनुसार 29 सितम्बर 2023 का  सदाचार संप्रेषण 

  *792 वां* सार -संक्षेप


 1 = विख्यात 


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ये सदाचार संप्रेषण हमारे जीवन में बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं आचार्य जी का एक एक शब्द हमें प्रभावित करता है शब्दों की महिमा अद्भुत है


एक या एक से अधिक वर्णों  से बनी  स्वतंत्र सार्थक इकाई शब्द कहलाती है।

भारतीय संस्कृति में तो शब्द को  ब्रह्म, जो सृष्टि का स्रष्टा है,कहा गया है।

शब्द उस ब्रह्म की एक ऐसी सहज उत्पत्ति है जो संसार को बांध भी देती है और खोल भी देती है

शब्द सब तरह के दृश्य पदार्थ कल्पना भाव विचार की प्रतिच्छाया है

शब्द के अभाव में ज्ञान का प्रकाशत्व लुप्त हो जाता है

ज्ञान स्वयं प्रकाशित है किन्तु शब्द बोलता है

किसी न किसी रूप में सारे मतानुयायी शब्द की ही उपासना करते हैं

वैदिक ज्ञान की बात करें तो प्रणव अर्थात् ॐ आदि शब्द /आदि स्वर है

शब्द में रूप भाव आकार है

भर्तृहरि, जो उज्जयिनी के राजा थे और  'विक्रमादित्य' उपाधि धारण करने वाले चन्द्रगुप्त द्वितीय के बड़े भ्राता थे, ने तो शब्दाद्वैत का प्रवर्तन कर डाला

शब्द हमें बांधता भी है और विरक्त भी करता है

यह शब्द हमें ऊंचाइयों पर ले जाता है

यह शब्द ही है जो रौद्र रूप धारण करने पर विशाल प्रस्तर को भी खंडित खंडित कर देता है

शब्दों के संबन्धों के आधार पर चिन्तन मनन अध्ययन करने पर शब्द प्रमाण हो जाता है

शब्द  वैखरी वाणी की शोभा है

शब्द के उपासक ज्ञानी भी हैं भक्त भी हैं


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने बताया कि बैच 1996 के भैया विनय वर्मा जी यद्यपि भगवद्भक्ति के साथ अपनी पूज्य माता जी की सेवा कर रहे थे लेकिन वे उन्हें बचा नहीं सके और कल माता जी महाप्रयाण कर गईं


ईश्वर भैया विनय जी को इस असीम दुःख को सहने की शक्ति दे और माता जी की आत्मा को शांति प्रदान करे