3.9.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी विक्रम संवत् 2080 तदनुसार 3 सितम्बर 2023 का सदाचार संप्रेषण *766 वां*

 अपनेपन का विस्तार जगत का जीवन है, 

हे, गतिज शून्य संसार तेरा अभिनंदन है।


प्रस्तुत है  सत्यसङ्गर ¹  आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज  भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष चतुर्थी विक्रम संवत् 2080  तदनुसार 3  सितम्बर 2023 का  सदाचार संप्रेषण 

  *766 वां* सार -संक्षेप


 1:  वादे का पक्का



हम किसी के सद्गुणों को ग्रहण करने के लिए प्रयासरत हों और उनके दुर्गुणों से दूर रहें


राष्ट्र -धर्म ही विश्व- धर्म है  और यही परमार्थ -धर्म है

वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः वाला सूत्र सदैव हम जाग्रत रखें

वाणी पर संयम रखें


फलाकांक्षा संसार की एक मौलिक समस्या है लेकिन हमारे धर्मक्षेत्र में समझाया जाता है

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।


मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।2.47।।


मात्र कर्म करने  में ही तुम्हारा अधिकार है इसे ध्यान रखते हुए फलाकांक्षा की वृत्ति नहीं रखो । तुम कर्म के फल के हेतु वाले मत हो लेकिन अकर्म में भी तुम्हारी आसक्ति न हो।।


फल की चिन्ता न करें लेकिन फल का निरीक्षण अवश्य करें


हमारे भीतर भगवान विद्यमान है यह अनुभूति ही विद्या है जो अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है  इस विद्या को प्राप्त करना कठिन है

हम अविद्या को विद्या समझ लेते हैं


ब्रह्मेतर ज्ञान को  अविद्या बतलाया गया है।विज्ञान भी अविद्या  है। ऐसा नहीं है कि भारतीय दर्शन में हर स्थान पर अविद्या को हीन ही कहा गया है हमने उसे विद्या का पूरक भी माना है

हमें सांसारिक कार्यों में भी सफलता चाहिए


*चन्द्रमा पर मानव ने पहली बार कदम रखे अंतरिक्ष में मनुष्य ने पहली बार चहलकदमी की*

इस तरह की उपलब्धियों से हमें लगता है कि हमने यह काम पहली बार किया है लेकिन गहनता से हम अपने ग्रंथों का अध्ययन करें तो देखते हैं कि यह तो पहले ही हो चुका है आचार्य जी ने इसके लिए मानस में हनुमान जी का चूडामणि और मुद्रिका वाला प्रसंग बताया



यह ऋषित्व जो यह विश्वास दिलाता है कि हर कल्प में राम होते हैं हर कल्प में रामकथा होती है अद्भुत है


यह सगुणोपासना का आधार है



हमें लगता है यह पहली बार हो रहा है

जब कि ऐसा नहीं है हमें निश्चिन्त रहना चाहिए

यह सब होता ही रहता है इसलिए व्याकुलता क्यों


कल उन्नाव विद्यालय में  कार्यक्रम सफल रहा इस कार्यक्रम में भैया विनय अजमानी जी और भैया सुनील जैन जी पहुंचे

आज कवि सम्मेलन है

जिसमें निम्नांकित कवि अत्यन्त उत्साह के साथ भाग ले रहे हैं


१. श्री अंसार कम्बरी जी कानपुर २. डॉ. सुरेश अवस्थी जी कानपुर ३. डॉ. कमल मुसद्दी जी कानपुर ४. श्रीमती व्याख्या मिश्र जी लखनऊ ५. श्री अतुल बाजपेयी जी लखनऊ ६. श्री प्रख्यात मिश्र जी लखनऊ ७. श्री कुमार दिनेश जी उन्नाव ८. डॉ. पवन मिश्र जी कानपुर

अपनेपन के विस्तार हेतु आप सब लोग इस कार्यक्रम के लिए आमन्त्रित हैं

इसके अतिरिक्त 

भैया मोहन कृष्ण जी भैया दीपक शर्मा जी का उल्लेख क्यों हुआ जानने के लिए सुनें